
उदयपुर . आदिवासियों के नाम से फर्जी बीमा क्लेम की राशि उठाने के मामले में अब तक गांव के ही एक डॉक्टर साहब का नाम सामने आया है। हकीकत में यह डॉक्टर नहीं होकर मेडिकल लाइन से जुड़ा सरकारी कर्मचारी है, जो आसपास के क्षेत्र में डाक्टर साहब के नाम से प्रसिद्ध है।
इसके साथ में गांव के बैंक व बीमा कंपनी के जुड़े मैनेजर व एजेंट शामिल है। पुलिस की तफ्तीश व ग्रामीणों के बयानों में अब तक कई लोग संदेह के घेरे में आए हैं। पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल के नेतृत्व में अब तक सीआई रवीन्द्र चारण, एएसआई इतवारी लाल, हेडकांस्टेबल तेजसिंह व अन्य ने नाई के चोकडिय़ा, पोपल्टी, बोरीफला, नालफलां, कविता, सीसारमा सहित कई गांव फलों में घूमकर 30 से 35 जनों को बयान लिए। बैंक-बीमा के अधिकारी लिप्त होने से वे अब तक रिकॉर्ड में टालमटोल कर रहे है।
गांव के ही बैंक में खुले खाते
पुलिस ने बताया कि जिन आदिवासियों का बीमा हुआ उन सब के बैंक के खाते सीसारमा स्थित राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैंक व इलाहाबाद बैंक में खुले। पुलिस ने जब संबंधित से रिकॉर्ड मांगा तो उनके हाथ-पांव फूल गए। दोनों ही बैंक के अधिकारी व कर्मचारी पुलिस को सहयोग नहीं कर रहे। एक-एक बीमित परिवार के नाम पता देने के बावजूद वे पुलिस से सवाल जवाब करते हुए आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज मांग रहे हैं।
फटकार लगाने पर अब वे क्लोजिंग का बहाना कर रहे है। पुलिस ने दोनों ही बैंकों के मुख्यालय के अधिकारियों को इस संबंध में सूचना भिजवाई है। अधिकांश लोग डॉक्टर के निकटतम पुलिस ने बताया कि जिन-जिन लोगों को बीमा क्लेम उठा, अधिकांश बीमित कथित डॉक्टर के यहां नौकरी कर रहे हैं। कोई उसके यहां खेतीबाड़ी कर रहा है तो कुछ फॉर्म हाउस व मकान पर सेवाएं दे रहा है। कुछ बीमा के लिए ग्रामीणों को तैयार करने का काम करते है। गांव में कौन-कौन गंभीर बीमार है उनको टटालने के लिए भी उसने पूरे गांव में अपने अलग से आदमी लगा रखे हैं।
Published on:
06 Apr 2018 01:11 pm
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