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बर्ड विलेज मेनार में 4 साल बाद दिखा ऑस्प्रे रेपटर , स्वीडन से आया मार्श हैरियर

बर्ड विलेज मेनार के धण्ड तालाब पर 4 साल बाद रेपटर पक्षी ऑस्प्रे की आमद दर्ज हुई है

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raptor bird osprey found in menar

उमेश मेनारिया/उदयपुर . जिले के बर्ड विलेज मेनार के धण्ड तालाब पर 4 साल बाद रेपटर पक्षी ऑस्प्रे की आमद दर्ज हुई है । उदयपुर ? से वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के दल में उत्तम पेगु ने यहां ऑस्प्रे बर्ड को देखा और कैमरे में कैद किया । उत्तम पेगु ने बताया कि इससे पहले ऑस्प्रे को वर्ष 2012 - 2013 में देखा गया था । फिश हॉक नाम के इस पक्षी की संख्या यहां कितनी है इस बारे में तो अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन बीते कई साल बाद इनकी मौज़ूदगी जरूर दर्ज हो गयी है । यहां मछलियां अधिक होना भी इसके आने का कारण है ।

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वन्यजीव विशेषज्ञ डॉक्टर सतीश शर्मा ने बताया कि ऑस्प्रे को हिंदी में मछलीमार भी कहते हैं । ऑस्प्रे का मुख्य भोजन नदियों व बांधों जलाशयो में मिलने वाली मछली है । इसमें विशेष प्रकार की शारीरिक विशेषताए होती है जो शिकार करने और पकड़ने के दौरान अद्वितीय व्यवहार दर्शाता है। यह शिकार करने वाले बड़े आकार का पक्षी हैं। विभिन्न नामों नें पहचाने जाने वाला यह पक्षी लगभग 60 सेमी लंबाई का होता है जो पँखो के फैलाव के बाद करीब 180 सेमी तक का हो सकता है। इसका ऊपरी भाग भूरे रंग का होता है । इसका वैज्ञानिक नाम पंडियन हेलिएटस है मार्श हैरियर है जो रात में धरातल पर विश्राम करता है । ऑस्प्रे रेपटर आस पास पेड़ या ऊची जगहो पर बैठा रहता है वही तभी दृष्टिपात करता है, जब कोई मछली जल के सतह पर आती है या जब इसे कोई शिकार करना होता है। इसकी दृष्टि बड़ी तीव्र होती है और यह पानी के अंदर मछली के सतह पर आते ही अपने शिकार को ऊँचाई से ही देख लेता है। और पंजो से पकड़ हवा में ही उसका शिकार कर लेता है । अपने कुल मे ये सिर्फ एक मात्र सदस्य है । यह हिमालय के उस पास यूरोप का निवासी है जो ठंडे प्रदेशो से सर्दियों में यहां आता है । ऑस्प्रे का आहार का 99% मछली बनता है । वही अप्रैल जून के मध्य यूरोप में घोंसला निर्माण करता है । हिमालय के उस पार ठंडे प्रदेशों से आने वाला यह पक्षी भारत में पाकिस्तान , श्रीलंका , मयांमार , बांग्लादेश से आता है । जलीय पक्षियो के आगमन के साथ इसका भी आगमन होता है वही जब ये लौटते हैं तो ये भी इनके साथ चला जाता है ।

रेपटर मार्श हैरियर के नाम पर बने हैं युद्धक लड़ाकू विमान , ये मछलियों का शिकार नही करता

मेनार के धण्ड तालाब पर मार्श हैरियर रेपटर प्रतिवर्ष सर्दियों में यहां आता है । मार्श हैरियर का वैज्ञानिक नाम सर्कस एरुगिनोस है । वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ सतिश शर्मा ने बताया कि रेपटर मार्श हैरियर पक्षी मछलियों का शिकार नही करता है । ये जलाशयों में जलीय पक्षीयो का शिकार करता है । अक्सर जलाशयो पर उड़ता रहता है । जब ये शिकार करने के लिए लपकता है तो जलीय पक्षी अपनी जान बचाने के लिए एक साथ इकठा होकर झुंड बना लेते है । शिकार से बचने का प्रयास करते है । इसके उड़ने के बाद पुनः तैरना शुरू कर देते है । यह रेपटर भी सर्दियों में प्रवास के दौरान हिमालय के उस पार ठंडे प्रदेशो से यहां आता है । अन्य प्रवासी पक्षियो के साथ आता है वही इनके जाने पर चला जाता है । लेकिन कुछ युवा पक्षियो को जुलाई माह तक कश्मीर के कुछ भागों मे देखा गया । मार्श हैरियर 55 सेमी लम्बा होता है वही पंख फैलाव के दौरान यह 130 सेमी तक हो जाता है ।

मार्श हैरियर रेपटर पक्षी स्वीडन , डेनमार्क, तर्किस्तान , मंगोलिया , भू मध्य सागरीय क्षेत्रों में ब्रीडिंग करता है सर्दीयो में यह भारत सहित दक्षिणी चीन , जापान , फिलिफिन्स , अफ्रीका के कुछ भाग , नेपाल , मालदीप , श्रीलंका आदि जगहो पर सर्दियों में फेल जाता है । इसके कुछ युवा पक्षी है जो जम्मू कश्मीर क्षेत्र में सर्दी के बाद जुलाई तक देखे गए । बाकी अमुमन जगहो से ये फरवरी तक चले जातेहैं । ये दिन में ही अपना भोजन करता है । रात्रि में यह समूह मे हल्की ऊँचाई वाली घास के आस पास विश्राम करता है । इस प्रजाति के एवम् अन्य 14 तरह के सभी हैरियर रात्रि में धरातल पर ही विश्राम करते हैं । विभिन्न देशों में सेनाओं द्वारा युद्ध के समय उपयोग लिए जाने वाले लड़ाकू विमान हैरियर इसी पक्षी के नाम पर बने हैं ।