
बावलवाड़ा. जंगलों में पाया जाने वाला तेंदू फल (टिमरू) इन दिनों बावलवाड़ा उपतहसील क्षेत्र के जंगलों में पेड़ों पर लदा नजर आ रहा है। यह फल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है। पहले यह आदिवासियों की आय का प्रमुख जरिया था। उस समय खेरवाड़ा क्षेत्र के बाजारों में तेंदू खूब बिकता था। अब लोग खुद पेड़ से फल तोड़कर खाते है। यह चीकू की तरह गोल पीले रंग का चीकू से छोटा गुदेदार फल होता है। इसमें भी चीकू की तरह दो बड़े आकर के बीज होते है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि तेंदू में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुण है। लोग इसे बड़े चाव से खाते है और अपने रिश्तेदारों को भी देते है। फलों के खत्म होने के बाद पेड़ों पर तेंदू के पत्ते लगते है। तेंदू पत्ते आदिवासियों की आय का मुख्य स्रोत है। हर साल वन विभाग तेंदू पत्ते के ठेके की नीलामी करता है। इसके बाद क्षेत्र के लोग तेंदू पत्ते तोड़कर बंडल बनाते है। इन्हें सुखाकर ठेकेदार को तय दर पर बेचते है। तेंदू पत्ते बीड़ी बनाने में काम आते है।
आदिवासी समुदाय से जुड़े कातरवास के अमृत लाल ने बताया कि तेंदू एक जंगली फल है। इसे सभी उम्र के लोग खा सकते है। विशेषज्ञों के अनुसार तेंदू में विटामिन ए, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर, मैंगनीज और सेलेनियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते है। ये तत्व शरीर को बीमारी से लड़ने की ताकत देते है। तेंदू में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। फाइबर वजन कम करने में सहायक है। यह शरीर के अंदर और बाहर की सूजन कम करता है। जोड़ों के दर्द से राहत देता है। इसमें कैरोटिनॉइड और टैनिन नाम के पोषक तत्व भी होते हैं। ये हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और हृदय संबंधी बीमारियों को नियंत्रित रखने में मदद करते है।
Published on:
29 Apr 2025 12:27 am
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