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टेम्पो में बच्चे के साथ सवार हुई एक महिला ने सीट पर बैठने के दौरान क‍िया ये काम…उड़ गए सवार‍ियों के होश..

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crime in udaipur

आजमगढ़ क्राइम की खबरें

उदयपुर. शहर में सूरजपोल से मल्लातलाई व चेतक से गोवद्र्धन विलास के बीच चलने वाले टेम्पो में फिर से चोर-उचक्के सक्रिय हो गए हैं। गुरुवार को हाथीपोल से अम्बामाता के बीच टेम्पो में बच्चे के साथ सवार हुई महिला ने सीट पर बैठने के दौरान आगे-पीछे होने के बहाने एक अन्य महिला के पर्स से सोने की चेन व 30 हजार की नकदी पार कर ली। पीडि़ता महिला के परिजनों ने अम्बामाता थाने में रिपोर्ट दी।

मल्लातलाई 80 फीट रोड निवासी रशीदा पत्नी अशराफुद्दीन काजी ने रिपोर्ट में बताया कि दोपहर करीब दो बजे वह हाथीपोल से मल्लातलाई आने के लिए टेम्पो में सवार हुई थी। रास्ते में कालबेलिया समाज की एक महिला मासूम के साथ टेम्पो में सवार हुई और उसके पास बैठ गई। उसने रशीदा के पर्स की चेन खोलकर उसमें रखे 30 हजार रुपए नकद व सोने की चेन निकाल ली। अम्बामाता के आसपास उतर कर रशीदा जब घर पहुंची तो उसे बैग की चेन खुली तथा उसमें रखी नकदी व चेन गायब थी। उसे पास बैठी महिला पर शक हुआ तो उसने परिजनों के साथ पूरे मार्ग पर उसे ढंूढ़ा। रूट पर टेम्पो चालक के मिलने पर उससे पूछताछ की तो उसने महिला के देहलीगेट पर घूमने की जानकारी दी। काफी देर इधर-उधर ढूंढऩे के बाद पता नहीं चलने पर परिजनों ने अम्बामाता थाने पहुंचकर लिखित में रिपोर्ट दी। रशीदा का कहना था कि वह अपनी बच्ची के लिए दोपहर को ही चेन खरीद कर घर ले जा रही थी। संभवत: रास्ते में ही महिला की उस पर नजर पड़ गई।

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इस रूट पर कई ग्रामीण की कटती है जेब

एमबी चिकित्सालय में उपचार के लिए आने वाले ग्रामीण अक्सर सिटी रेलवे स्टेशन व उदियापोल टेम्पो में सवार होते हैं। उचक्कों को इसकी पूरी जानकारी है, वे इसी रूट पर चलने वाले टेम्पो में सवार होकर रास्ते में ग्रामीण की जेब तराश कर नकदी निकाल लेते हैं। इस रूट पर कुछ महिलाएं भी ऐसी हैं जो टेम्पो में बैठने के दौरान सीट पर आगे-पीछे होने के दौरान वारदात कर डालती है। इन वारदातों में रूट पर चलने वाले चंद टेम्पो चालक भी शामिल हैं, जो ग्रामीण की जेब देखते ही रास्ते से मोबाइल कर गिरोह के सदस्य को बिठाकर वारदात कर देते हैं।

फिर बिना नम्बर के हुए टेम्पो
यातायात पुलिस ने टेम्पो में जेबतराशी व पर्स से सामान निकालने की वारदातों के बाद रूट पर चलने वाले समस्त टेम्पो की पहचान के लिए अलग से आगे व पीछे नम्बर लिखवाए थे। कुछ समय तक यह व्यवस्था चली लेकिन बाद में अधिकतर टेम्पो के नम्बर गायब हो गए। कुछ टेम्पो तो रूट में नए जुडऩे से यह व्यवस्था ही फेल हो गई।