
उदयपुर. ‘भीलवाड़ा में कोरोना के संदिग्धों के सामने आने पर 19 मार्च को उदयपुर से एम्बुलेंस से टीम रवाना हुई। वहां जाते ही हमारी टीम ने मोर्चा संभाल लिया। पूरे हॉस्पिटल को एपिसेंटर मानते हुए कार्यवाही शुरू की। लोगों की स्क्रीनिंग की। जो भी लोग संदिग्धों के संपर्क में आए और जो उनके संपर्क में थे सभी की डिटेल्स जुटाई। सुबह से जो काम शुरू होता था वो अगली सुबह 4 बजे तक चलता ही रहता था। इस दौरान खुद की सेफ्टी भी रखना बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन हमें गर्व है कि हमारी टीम ने बहुत अच्छा काम किया। उसी की बदौलत आज भीलवाड़ा रोल मॉडल बन गया है।’ ये कहना है टीम का नेतृत्व करने वाले डॉ. बीएल मेघवाल का, जो इन दिनों अपने अन्य साथियों के साथ क्वारेंटाइन में समय गुजार रहे हैं।
डॉ. मेघवाल आरएनटी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर पीडियाट्रिक्स हैं। उन्होंने बताया कि ये एक ऐसा मौका था जो करो या मरो की स्थिति ही थी। हर चीज को छूने से भी डर लगता था। ये एक युद्ध का मैदान ही लगता था कि गोली कहीं से भी आ सकती है और किसी को भी लग सकती है। लेकिन, हम भी जांबाज सैनिकों की तरह डटे रहे और आज उदाहरण सबके सामने हैं। 10 दिन रुकने के बाद क्वारेंटाइन में भेज दिया गया। अब फैमिली की याद सता रही है।
यादगार रहेगा ये अनुभव, 20 दिन से नहीं गए घर
इसी तरह आरएनटी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. गौतम बुनकर बताते हैं कि भीलवाड़ा में जिस तरह रात-दिन काम में जुटे रहे, वे पल जिंदगी में यादगार ही रहेंगे। पूरी टीम ने बहुत अच्छा काम किया। हमारी एक भी चूक किसी की भी जान पर भारी पड़ सकती थी, इसलिए बारीक से बारीक पॉइंट्स पर काम किया। ऐसी परिस्थितियों में काम करने का अलग अनुभव हुआ है और खुद को और शायद मजबूत कर लिया है। घर पर गए लगभग 20 दिन हो गए हैं। पत्नी और दो बच्चे हैं। पत्नी भी सेटेलाइट हॉस्पिटल में हैल्थ मैनेजर हैं। उसे भी रोज ड्यूटी पर जाना पड़ता है। ऐसे में बच्चों को घर पर अकेला छोडऩा पड़ता है। पहले मेड्स घर पर आती थी, पर वे भी नहीं आ रही, इसलिए बच्चों की चिंता लगी रहती है, लेकिन फोन पर बच्चों से बात कर के और उन्हें देख कर ही अभी तसल्ली कर लेते हैं।
Published on:
08 Apr 2020 03:01 pm
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