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मूक बधिर विद्यालय के प्रधानाध्यापक की ये व्यथा आपकी भी आंखों को नम कर देगी, हर तरह से योग्य होने के बावजूद लेना पड़ा ये बड़ा फैसला

मूक एवं बधिर विद्यालय, अंबामाता के प्रधानाध्यापक माधव लाल पालीवाल को 3 साल 9 माह से वेतन नहीं मिला है जिससे आर्थिक तंगी के चलते उनके समक्ष घर बेचने तक की नौबत आ गई है।

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मूक एवं बधिर विद्यालय, अंबामाता के प्रधानाध्यापक माधव लाल पालीवाल को 3 साल 9 माह से वेतन नहीं मिला है जिससे आर्थिक तंगी के चलते उनके समक्ष घर बेचने तक की नौबत आ गई है। पालीवाल ने बताया कि वेतन को लेकर वह शिक्षा विभाग के कई चक्कर काट चुके हैं, लेकिन विभागों के तालमेल नहीं होने एवं एक- दूसरे पर जिम्मेदारी डालने से उनका वेतन अटक गया है।

प्रारंभिक निदेशक ने अक्टूबर 2013 में मूक बधिर, नेत्रहीन एवं विमंदित बालकों की सभी विशिष्ट संस्थाओं के शिक्षाकर्मियों का राज्य सेवा में समायोजन किया था। इसके तहत पालीवाल का भी समायोजन हुआ। पात्रता निर्धारण कमेटी ने पालीवाल को प्रधानाध्यापक पद के लिए योग्य मानकर उनका नाम शिक्षा निदेशक माध्यमिक को प्रधानाध्यापक पद पर समायोजन के लिए भेजा।

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माध्यमिक शिक्षा ने उनकी योग्यता व प्रमाण पत्रों की जांच कर बीएड को आधार बताकर पुन: प्रारम्भिक शिक्षा को भेज दिया। इसके बाद उनकी फाइल राज्य सरकार व प्रारम्भिक शिक्षा के बीच ही अटक कर रह गई। पालीवाल के अनुसार उनकी नियुक्ति राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम 1971 के तहत हुई थी। इसमें बीएड को अनिवार्य नहीं माना गया है।

प्रधानाध्यापक पद के लिए योग्यता पूरी

नियम के तहत किसी भी गैर सरकारी मूक-बधिर विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक की प्रशैक्षिक व शैक्षिक योग्यता तथा प्रधानाध्यापक पद के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक के साथ मूक-बधिर संस्थान से विशेष प्रशिक्षण व पांच वर्ष का अनुभव मांगा गया है। पालीवाल के अनुसार उनकी योग्यता पूर्ण है।

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उधारी का बढ़ा बोझ

पालीवाल ने बताया कि वेतन नहीं मिलने से घर खर्च के लिए उधार ली थी। वेतन नहीं मिलने से उधार चुकाना मुश्किल हो गया। इस पर घर बेचने का निर्णय किया और इसके लिए विज्ञापन तक दे चुके हैं।

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