विकल्प संस्थान की पहल से आयोजित इस प्रदर्शन में 80 ग्रामीण क्षेत्र एवं शहर के युवा एवं किशोरों ने हिस्सा लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि लडक़ों-पुरुषों का योगदान हिंसा मुक्त समाज बनाने में महत्वपूर्ण है। छोटी-छोटी भेदभाव की घटनाएं समाज में बड़ी हिंसा को जन्म देती है। जीवन के शुरुआत में ही लडक़ों को संवेदनशीलता और समानता के साथ पाला जाय तो समाज की तस्वीर ही अलग हो सकती है।
विकल्प संस्थान कि निदेशक उषा चौधरी ने कहा कि युवाओं एवं किशोरों का इस मुहीम में भागीदारी बहुत ही जरूरी है। छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाओं ने समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए डर का माहौल बना दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी पालीवाल ने कहा कि पितृसत्ता भद्दे रूप में समाज में उभर रही है। ऐसे में महिला हिंसा के विरोधी पुरुषों को आगे आकर समाज से हिंसा को खत्म करने का बीड़ा उठाना होगा। एडवोकेट रमेश नंदवाना ने कहा कि इन घटनाओं पर रोक लगाने का एकमात्र तरीका है कि हर घर अपने बेटों को संवेदनशील इंसान बनाए।