13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

VIDEO चिकित्सकों की हड़ताल: घायलों-मरीजों का दर्द बढ़ा, रेस्मा के भय से गायब रहे रेजिडेंट और चिकित्सक

उदयपुर. चिकित्सकों को सबक सिखाने में सक्रिय सरकार की नाराजगी लगातार दूसरे दिन मरीजों के लिए चिंताजनक साबित हुई।

3 min read
Google source verification
Doctors strike udaipur

उदयपुर . समझौते के बाद मांगें मनवाने के लिए हड़ताल पर उतरने वाले चिकित्सकों को सबक सिखाने में सक्रिय सरकार की नाराजगी लगातार दूसरे दिन मरीजों के लिए चिंताजनक साबित हुई। राजकीय चिकित्सालयों में परामर्श के लिए घायलों और मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा। गंभीर मरीजों को देखने का आदेश जारी करते हुए चिकित्सकों ने आम मरीजों की पर्ची नहीं काटने के लिए स्टाफ को पाबंद किया। इसके बावजूद महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय में आपात परिस्थिति वाले 4 ऑपरेशन हुए, जबकि पन्नाधाय महिला चिकित्सालय में 26 सिजेरियन ऑपरेशन दर्ज
किए गए।
संभाग स्तर पर उदयपुर के 312 चिकित्सकों सहित चिकित्सा विभाग के कुल 885 चिकित्सक हड़ताल पर रहे। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित चिकित्सालयों में 361 रेजिडेंट एवं विशेषज्ञ हड़ताल में शामिल हुए। विशेषज्ञों के अभाव में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की होने वाली प्रस्तावित प्रायोगिक परीक्षा को अनिश्चित काल के लिए निरस्त कर दिया गया। चिंता इस बात से और भी गंभीर हो रही है कि चिकित्सकीय सेवा से जुड़े निजी संगठनों ने भी अरिस्दा और रेजिडेंट यूनियन के समर्थन में आगामी दिनों में कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है।


प्राचार्य-अधीक्षक और नर्सिंग स्टाफ मोर्चे पर:हड़ताल को देखते हुए आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. डीपी सिंह ने 20 से 25 दिसम्बर के बीच प्रस्तावित तृतीय वर्ष पार्ट-2 की पीयूसी प्रायोगिक परीक्षा को अग्रिम आदेश तक के लिए निरस्त कर दिया है। इसकी वजह रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल बताई गई। उधर, आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित चिकित्सालयों में हड़ताल से प्रभावित व्यवस्थाओं को संभालने में जुटे प्राचार्य डॉ. डी.पी. सिंह ने आउटडोर में मरीजों को परामर्श दिया। उनकी उपस्थिति देख मरीजों की कतार लग गई। उन्होंने कहा कि यह उनका रूटीन कार्य है।

READ MORE: PICS: जल्द शुरू होगा दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव, देखें तैयारियों की खास तस्वीरें

इधर, सक्रियता निभाते हुए एमबी हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. विनय जोशी भी आवश्यक सेवाओं में मरीजों के लिए सक्रिय दिखाई दिए। दूसरी ओर पन्नाधाय महिला चिकित्सालय में अधीक्षक के फरमान पर पर्ची काउंटर पर कर्मचारी मरीजों की बीमारी से जुड़ी गंभीरता पूछते रहे। गंभीर रोगी एवं गभर्वती महिला को छोडकऱ सामान्य मरीजों को नहीं देखने वाले मौखिक आदेश की पालना में कर्मचारी सक्रिय दिखाई दिए। पत्रिका से बातचीत में कर्मचारियों ने नौकरी के लिए मजबूरी बताई। जनाना चिकित्सालय के क्रिटिकल लेबर रूम में वरिष्ठ नर्सिंग कार्मिकों ने मोर्चा संभाला।


गर्भवती एवं प्रसूताओं का ब्लड प्रेशर जांचने से लेकर पर्ची लिखने और वार्ड में भर्ती करने का अधिकांश जिम्मा इन्ही कार्मिकों के भरोसे था। ड्यूटी पर होते हुए गायनिक विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दो बजे मरीजों को नहीं देखा। ऐसा ही हाल बच्चों की नर्सरी यूनिट ए और बी का भी था, जहां केवल नर्सिंग कार्मिक ही सेवाओं में सक्रिय थे।


मांगा समर्थन, बढ़ाया कदम
सरकार से जारी लड़ाई के बीच अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (अरिस्दा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने राजस्थान मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महासचिव को खत लिखकर सेवारत चिकित्सकों को जेल भेजने वाली सरकारी नीति के विरोध में कार्य बहिष्कार कर समर्थन देने की अपील की। दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, मेडिकल प्रेक्टिशनर्स सोसायटी, राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन, आल राजस्थान इन सर्विस डॉक्टर्स एसोसिएशन व रेजिडेंट यूनियन की कोर कमेटी ने बैठक लेकर हड़ताली चिकित्सकों का समर्थन देने की बात कही। मामले में उनकी ओर से सरकार को सीधी बातचीत कर समस्या का हल तलाशने के अलावा समस्या निस्तारण नहीं होने की स्थिति में कार्य बहिष्कार का ऐलान किया गया।

READ MORE: PATRIKA EXCLUSIVE: आरबीएसई के कार्मिकों ने 2014 के बाद घोषित ही नहीं की स्वयं की सम्पत्ति

संगठनों के प्रतिनिधियों ने गिरफ्तार चिकित्सकों को तत्काल प्रभाव से छोडऩे की बात भी की। विशेष यह रहा कि सरकार को संबोधित कर लिखे गए खत में अरिस्दा के जिला महासचिव डॉ. तरुण व्यास के अलावा सभी प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हुए।


चहेते डॉक्टर्स को देख आंखें मूंदी
सरकारी आदेश के तहत प्रदेश में लागू रेस्मा कानून की पालना के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी है, लेकिन दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में पोस्टमार्टम, एमएलसी सहित अन्य कार्यों में सहयोग करने वाले चिकित्सकों को के प्रति पुलिस ने अनदेखी की। जिला मुख्यालय पर भी रेजिडेंट और अन्य चिकित्सकों के प्रति पुलिस की रवैया कुछ ऐसा ही रहा। आंखों के सामने घूमने के बावजूद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया।

आंकड़ों की स्थिति
04 आपात ऑपरेशन ही हुए एमबी हॉस्पिटल में
26 : सिजेरियन ऑपरेशन
जनाना में
35 : जनाना में कुल डिलीवरी
40 : 18 दिसम्बर को
कुल प्रसव
21 : शिशु नर्सरी की यूनिट सी
में भर्ती
19 : शिशु नर्सरी की बी यूनिट
में भर्ती
01: सर्किल से नर्सरी यूनिट बी
में नई भर्ती
एमबी हॉस्पिटल का घटा ओपीडी
16 दिसम्बर 2104
17 दिसम्बर (रविवार) 1124
18 दिसम्बर 2729
19 दिसम्बर 1685
चांदपोल सेटेलाइट का ओपीडी
18 दिसम्बर 263
19 दिसम्बर 180