
पति को फांसी की सजा (पत्रिका फाइल फोटो)
Udaipur Crime: उदयपुर जिले के मावली एरिया में पत्नी की नृशंस हत्या के एक दिल दहला देने वाले मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने 26 साल के प्रेमलाल को मृत्युदंड की सजा सुनाई। कोर्ट ने इस अपराध को अत्यंत जघन्य और क्रूर बताते हुए विरल से विरलतम श्रेणी में रखा।
साथ ही आदेश दिया कि आरोपी फांसी से तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। अपर लोक अभियोजक दिनेश चंद्र पालीवाल के मुताबिक, 14 जनवरी 2023 को घासा थाने के अंतर्गत आने वाले सिंधु के बीड़े में एक महिला का क्षत-विक्षत शव मिला था।
मृतका की पहचान नीमा (26) के रूप में हुई, जिसकी सिर और चेहरे को बड़े पत्थर से इतनी क्रूरता से कुचला गया था कि पहचान करना मुश्किल हो गया था। घटना स्थल से मिले सुराग और परिजनों द्वारा की गई पहचान के आधार पर पुलिस ने नीमा के पति प्रेमलाल के खिलाफ मामला दर्ज किया।
घटना से पहले नीमा के पिता ने राजसमंद जिले के देलवाड़ा थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया था कि नीमा को उसके पति का फोन आया था, जिसके बाद वह घर से बाहर गई और फिर वापस नहीं लौटी।
जांच में सामने आया कि शादी के सात साल बाद प्रेमलाल ने ‘नाता’ प्रथा के तहत एक अन्य महिला शांताबाई से विवाह कर लिया था। इससे पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ गया और नीमा वापस अपने मायके रहने लगी। पुलिस के मुताबिक, इन्हीं तनावपूर्ण परिस्थितियों और पारिवारिक विवादों के चलते प्रेमलाल ने नीमा की हत्या की साजिश रची।
पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड के आधार पर आरोपी की गतिविधियों का विश्लेषण किया। मृतका के अंतिम मोबाइल लोकेशन और आरोपी के फोन की लोकेशन कई बार एक ही स्थान पर पाई गई। इन तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने प्रेमलाल को गिरफ्तार किया।
अभियोजन पक्ष ने अदालत में 22 महत्वपूर्ण गवाह पेश किए, जिनमें मृतका के परिजन, फॉरेंसिक विशेषज्ञ, पुलिस अधिकारी और पंच गवाह शामिल थे। इसके अलावा 67 दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, जिनमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, घटना स्थल की तस्वीरें, एफएसएल रिपोर्ट, कॉल रिकॉर्ड और आरोपी के बयान प्रमुख थे।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राहुल चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि हत्या की क्रूरता अत्यधिक भयावह है। आरोपी ने पीड़िता को बेहद दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतारा। समाज में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखते हुए कठोर दंड आवश्यक है। यह अपराध सामान्य परिस्थितियों में नहीं किया गया, बल्कि साजिश के तहत हत्या की गई थी।
अदालत ने टिप्पणी की कि पत्थर से सिर कुचलकर हत्या करना असामान्य क्रूरता का उदाहरण है, जो समाज की चेतना को झकझोर देता है। इसलिए इस मामले में मृत्युदंड ही न्यायोचित है। फैसले के बाद मृतका के परिवार ने इसे न्याय की जीत बताया। मृतका के पिता ने कहा, उनकी बेटी को न्याय मिला है और वे आशा करते हैं कि यह फैसला समाज में महिलाओं के प्रति हिंसा करने वालों के लिए कड़ा संदेश बनेगा।
स्थानीय लोगों ने भी अदालत के निर्णय का समर्थन किया और कहा कि कठोर कार्रवाई से ऐसे अपराधों पर रोक लगेगी। अभियोजन पक्ष ने भी इसे एक बड़ी सफलता बताया। क्योंकि मजबूत साक्ष्य और प्रभावी पैरवी के आधार पर आरोपी को सजा दिलाई गई।
Published on:
11 Dec 2025 11:17 am
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