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Rajasthan: सुप्रीम कोर्ट में शांति धारीवाल की याचिका खारिज, ट्रायल कोर्ट में होगी भ्रष्टाचार मामले की जांच

सुप्रीम कोर्ट ने एकल पट्टा घोटाले में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल की याचिका खारिज की। कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगी रोक को बरकरार रखा, लेकिन जांच जारी रखने का निर्देश दिया। अब प्रोटेस्ट पिटीशन और क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला विशेष कोर्ट, जयपुर में होगा।

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जयपुर

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Arvind Rao

Dec 01, 2025

Shanti Dhariwal

Shanti Dhariwal (Patrika Photo)

जयपुर: राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा घोटाले में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत ने उनकी विशेष अनुमति याचिका को सुनने से इनकार करते हुए एक नवंबर 2024 के आदेश को बरकरार रखा।

बता दें कि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसीबी कोर्ट, जयपुर में लंबित प्रोटेस्ट पिटीशनों के निपटारे से पहले धारीवाल के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई या गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। लेकिन जांच प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई ने सुनवाई के दौरान कहा, भ्रष्टाचार मामले में कानूनी प्रक्रिया ट्रायल कोर्ट स्तर पर जारी रहेगी। वही आगे की कार्रवाई तय करेगा।

शांति धारीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। जबकि राजस्थान सरकार की पैरवी अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने की। इसके अलावा इंटरवीनर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कुंवर सुल्तान सिंह और अधिवक्ता अजीत कुमार शर्मा व आदित्य विक्रम सिंह उपस्थित रहे।

क्लोजर रिपोर्ट और प्रोटेस्ट पिटीशन पर ट्रायल कोर्ट करेगा फैसला

उच्च न्यायालय पहले ही निर्देश दे चुका है कि क्लोजर रिपोर्ट और प्रोटेस्ट पिटीशनों का निपटारा ट्रायल कोर्ट करेगा। कोर्ट पुरानी और नई दोनों क्लोजर रिपोर्टों पर विचार कर सकता है और राज्य सरकार अतिरिक्त जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर सकती है। साथ ही क्लोजर रिपोर्ट वापस लेने के आवेदन पर भी सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी निर्देशों को बरकरार रखते हुए धारीवाल की याचिका को खारिज कर दिया।

जानें क्या है पूरा मामला?

29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेंद्र गर्ग के नाम पट्टा जारी किया था। आरोप यह लगा कि पिछले रिजेक्शन की जानकारी जुटाए बिना नया पट्टा जारी किया गया और इसमें भारी स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ।

साल 2013 में परिवादी रामशरण सिंह ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद मामला धीरे-धीरे बड़ा होता गया। तत्कालीन गहलोत सरकार ने पट्टा रद्द कर दिया और जांच शुरू हुई। इस दौरान तत्कालीन एसीएस जीएस संधू समेत छह आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई। इसी मामले में तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी जांच के दायरे में आए।

अब क्या होगा

मामले का अंतिम निपटारा विशेष कोर्ट (पीसी एक्ट), जयपुर द्वारा किया जाएगा। अब कोर्ट प्रोटेस्ट पिटीशनों, क्लोजर रिपोर्टों और राज्य सरकार की अपीलों पर फैसला करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच पूरी कानूनी प्रक्रिया के साथ आगे बढ़े और ट्रायल कोर्ट के समक्ष ही निर्णायक मोड़ आए।