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Rajasthan: अरावली पहाड़ी संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नई खानों पर रोक, वैध खनन जारी रहेगा

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों के संरक्षण को लेकर बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा, मौजूदा वैध खानों में नियमों के तहत खनन जारी रह सकता है। लेकिन नई खदानों की मंजूरी दीर्घकालिक प्रबंधन प्लान तैयार होने तक रोक दी जाए।

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जयपुर

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Arvind Rao

Nov 21, 2025

Aravalli Hills conservation

अरावली पहाड़ी (फोटो- पत्रिका)

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि इस क्षेत्र में खनन पर पूरी तरह पाबंदी लगाने से खनन माफिया, अवैध खनन और अपराधों को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए मौजूदा वैध खानों में खनन जारी रहने दिया जाए। लेकिन वहां नियमों की सख्ती से पालना कराई जाए।

खनन के लिए दीर्घकालिक प्रबंधन प्लान बनने तक नई खानों को मंजूरी देने पर पाबंदी रहेगी। यह प्लान केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तैयार करेगा। कोर्ट ने दोहराया कि अरावली पहाड़ियों और पर्वत शृंखलाओं को नुकसान नहीं होने दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायाधीश एनवी अंजारिया की बेंच ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने पिछले दिनों अरावली पहाड़ियों और पर्वत शृंखला की परिभाषा को लेकर विस्तृत सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष कोर्ट ने फैसले में विशेषज्ञ समिति की उन सभी सिफारिशों को स्वीकार किया, जो परिभाषाओं के साथ-साथ कोर या उससे जुड़े क्षेत्र में खनन पर रोक से संबंधित थीं।

समिति ने सिफारिश दी कि अरावली क्षेत्र के जिलों में 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली के दायरे में माना जाए। इसके अलावा 500 मीटर दूरी पर स्थित दो या दो से अधिक अरावली पहाड़ियों के दोनों तरफ सबसे निचले क्षेत्र की सीमा को अरावली रेंज माना जाएगा। कोर्ट ने इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन से अरावली हिल्स-रेंज क्षेत्र का अध्ययन कराने को कहा।

बनाया जाए मैनेजमेंट प्लान

कोर्ट ने कहा कि समिति ने क्रिटिकल, सामरिक व एटॉमिक खनिजों को छोड़कर कोर व उससे सम्बद्ध क्षेत्र में खनन पर रोक लगाने की अनुशंसा की है। लेकिन यहां दीर्घकालिक खनन के लिए मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाए।

अरावली लैंडस्केप क्षेत्र में खनन के लिए अनुमत इलाकों, ईकोलॉजिकली सेंसिटिव, कंजर्वेशन-क्रिटिकल और रेस्टोरेशन-प्रायोरिटी वाले इलाकों की पहचान के लिए यह प्लान आवश्यक है। यहां खनन पर पूरी तरह पाबंदी होगी या केवल विशेष एवं वैज्ञानिक तरीकों से खनन की अनुमति होगी। इसका निर्णय भी इसी प्लान से होगा।

जिला स्तर पर भी हो विचार

कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को जरूरी लगे तो अरावली पहाड़ियों व रेंज के प्रत्येक जिले के लिए अलग मैनेजमेंट प्लान तैयार करने पर भी विचार किया जा सकता है।