मां से सीखा ऑर्गेनिक खेती व सब्जियों को संरक्षित करना
57 वर्षीय हंसा न्याति ने बताया कि उनके पति अक्सर नौकरी केकाम के सिलसिले में विदेश में रहते थे। ऐसे में बच्चों की जिम्मेदारी उन पर थी। वे गोल्ड मेडलिस्ट थीं लेकिन बच्चों की देखभाल के लिए जॉब नहीं की। दिल्ली में रहने के दौरान स्कल्पचर आर्ट सीखा और कई प्रदर्शनियां भी लगीं। दिल्ली से उदयपुर आने पर बोहरा गणेशजी क्षेत्र में उनके घर के आसपास के खाली प्लॉट्स लेकर यहां ही खेती करना शुरू किया। बाद में मावली में फार्म हाउस लिया और यहीं पर खेती शुरू कर दी और उदयपुर लाकर घर से ही सब्जियां बेचना शुरू किया। न्याति ने बताया कि वैसे जैविक खेती उन्होंने अपनी मां से सीखी। जो फल-सब्जियां घर पर ही उगाती थीं और धूप में रख उनको संरक्षित भी कर देती थीं। आज रसायनों के प्रयोग से फल-सब्जियों में वो स्वाद नहीं आता और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इसलिए उन्होंने जैविक खेती करना शुरू किया, ताकि कम से कम वे 100 परिवारों तक ये सब्जियां व फल पहुंचा सकें।
2000 से अधिक फलों के पेड़, देसी के साथ विदेशी सब्जियों की खेती भी
न्याति ने बताया कि उनके फार्म पर 2000 से अधिक फलों के पेड़ लग हुए हैं, इनमें अनार, नीबू , अमरुद, आम, चीकू, आंवला, जामुन आदि मुख्य हैं। फलों के अलावा वह देसी व विदेशी सब्जियां जैसे पार्सले, सेलेरी, लेट्यूस, बेल पेपर, पर्पल कैबेज, शिमला मिर्च आदि भी पूर्णतया प्राकृतिक तरीके से उगा रही हैं । परिवार में उनके पति डॉ. गिरिराज न्याति टेक्नो एनजेआर में एसोसिएट डायरेक्टर हैं। उनका बड़ा बेटा राघव उदयपुर में ही रहकर जॉब करता है। वहीं, छोटा बेटा पार्थ चैन्नई में अमेजन कंपनी में कार्य करता है। तीनों भी उनका सहयोग करते हैं। न्याति का मानना है कि भारत में सालों से महिलाएं सब्जियां व फल धूप में सुखाकर संरक्षित करती आई हैं, ताकि बिना मौसम के भी उनकी उपलब्धता हो। यही तरीका वे ग्रामीणों व किसानों को भी सिखाती हैं।