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बैंक व बीमा कंपनी ने पहले चक्कर कटवाए, नोटिस पहुंचा तो दौड़ते-भागते पहुंचे न्यायालय

स्थायी लोक अदालत में राजीनामे से निपटे पांच मामले...

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उदयपुर . बैंक व बीमा कंपनी ने पहले लापरवाही की और बाद में परिवादियों को राहत देने के बजाय औपचारिकताएं करवाते हुए चक्कर कटवाए मगर किसी तरह का भुगतान नहीं किया। परिवादी जब न्यायालय पहुंचे तो महज एक नोटिस पर विपक्षी दौड़ते-भागते नजर आए। स्थायी लोक अदालत में सुनवाई से पहले ऐसे ही पांच मामलों का निपटारा हुआ जिसमें विपक्षियों ने स्वेच्छा से राजीनामा करते हुए परिवादियों को राहत दी। स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष के.बी. कट्टा, सदस्य बृजेन्द्र सेठ व सुशील कोठारी की मौजूदगी में इन मामलों को निपटारा हुआ।

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यह थे मामले

केस 1- प्रीति पत्नी ब्रजेश जैन निवासी सेक्टर 3
विपक्षी- भारतीय स्टेट बैंक, शाखा सेक्टर 4
मामला- परिवादिया के बैंक अकाउंट में जमा 1.34 लाख रुपए अज्ञात ने 14-8-17 से 29-8-17 के बीच अलग-अलग खातों में डालकर निकाल लिए। बैंक की लापरवाही पर परिवादिया ने वाद दायर किया। कोर्ट से नोटिस थमाया तो राजीनामा कर लिया।
केस 2- गणेशलाल पुत्र हीरालाल मीणा निवासी मेनार
विपक्षी- भारतीय स्टेट बैंक, मेनार शाखा
मामला- बैंक के बचत खाते में चेक से 1500 रुपए व नकद राशि तीस हजार रुपए जमा करवाई। बैंक ने लापरवाही पूर्वक अन्य गणेश के खाते में ये राशि डाल दी और उसने ये राशि निकाल ली। बैंक के चक्कर कटाने पर सफलता नहीं मिलने पर परिवादी कोर्ट पहुंचा तो बैंक ने वाद खर्च सहित समस्त राशि देते हुए राजीनामा किया।
केस 3- मोहनलाल पुत्र भैरा डांगी, निवासी कोट, कुराबड़
विपक्षी- अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड
मामला- 13 मई 2017 को खेत पर घास काट रहा था। इसी दौरान ऊपर से गुजर रही 11 केवी लाइन उस पर आ गिरी। 8 प्रतिशत स्थायी विकलांगता के बावजूद निगम ने उसे मुआवजा नहीं दिया। कोर्ट का नोटिस पहुंचते ही निगम ने राजीनामा कर 40 हजार का भुगतान कर परिवादी को राहत दी।
केस 4- गोवर्धनलाल पुत्र शंकरलाल जैन निवासी भींडर
विपक्षी- प्रवर अधीक्षक, डाकघर, पोस्ट मास्टर शास्त्रीसर्कल डाकघर
मामला- परिवादी का वरिष्ठ नागरिक श्रेणी का डाकघर में आरडी खाता था। डाकघर में वर्ष 2016-17 का टीडीएस की राशि काट ली लेकिन आयकर विभाग ने ट्रांसफर नहीं किया। नोटिस देने पर भी जवाब नहीं दिया। कोर्ट में मामला आते ही ब्याज सहित राशि देकर निपटारा किया।
केस 5- सुंदरबाई पत्नी गेहरीसिंह राजपूत व पुत्र निवासी भादवी गुड़ा, गोगुंदा
विपक्षी- अविवा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, गुडग़ांव
मामला- पति का विपक्षी कंपनी में बीमा था। बीमा अवधि के दौरान पति की मौत हो गई। कंपनी ने 3.93 लाख रुपए का बीमा होने के बावजूद 19 हजार 16 रुपए का भुगतान किया। परिवादिया ने विरोध किया तो कोई जवाब नहीं दिया और उल्टा नोटिस थमाते हुए कई तरह की औपचारिकताएं करवाईं। मामला कोर्ट में आते ही सुनवाई से पहले विपक्षियों ने पीडि़त परिवार को पूरी राशि का चेक थमाया।