
video : उदयपुर में यहां 50 साल बाद भक्ताेें ने हनुमान को पहुंचाया घर...ये खबर आपकाेे चौंका देगी और आंखेें भी हो जाएगी नम..
हेमंत आमेटा/ भटेवर (उदयपुर). रामायण में हनुमान ने भले ही उड़ान भर एक जगह से दूसरी जगह मुकाम पाया हो, लेकिन कलयुग में एक ‘हनुमान’ को 50 साल बाद मुकाम मिला। कहानी उत्तरप्रदेश के एक रामलीला कलाकार की है। जो करीब 50 साल पहले मेवाड़ में आया और यहीं बस गया। आखिर अब ग्रामीणों ने उन्हें पुन: परिवार से मिलाया।
क्षेत्र के बडग़ांव में रह रहे करणवास (बुलंदशहर), उत्तरप्रदेश निवासी 84 वर्षीय त्रिलोक वशिष्ठ 50 साल बाद अपने परिवार से रूबरू हुए तो आंखें भर आई। बडग़ांव के ग्रामीणों के अथक प्रयासों से त्रिलोक वशिष्ठ परिवार से मिल पाए। सालों बाद दादा-पोते के मिलने पर दोनों की आंखों से आंसू बह निकले। इस मार्मिक दृश्य को देखकर मौके पर मौजूद हर किसी की आंखेंं भर आई।
मूल रूप से उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में करणवास गांव के निवासी त्रिलोक शर्मा (वशिष्ठ) करीब 50 साल पहले रामलीला कलाकार के तौर पर मंचन के लिए बडग़ांव आए थे। काफी दिनों तक यहां रहने मन यहीं रम गया। आखिर वे यहीं बस गए और कभी लौट कर अपने गांव जाने की नहीं सोची। अब 84 वर्ष के हो चुके त्रिलोक वशिष्ठ अस्वस्थ हैं। करीब एक माह से उनके पैर में घाव हो गया।
अपना समय ग्रामीण बीते दिनों से उपचार करवा रहे थे। आखिर तकलीफ बढऩे पर ग्रामीणों ने पैतृक गांव में परिवार को सूचना देना उचित समझा। ग्रामीणों ने राजस्थान सम्पर्क पोर्टल और डाक के माध्यम से परिवार से सम्पर्क किया। आखिर बुजुर्ग त्रिलोक वशिष्ठ को साथ ले जाने के लिए उनके भाई का पौत्र विमल वशिष्ठ शर्मा बडग़ांव आया। त्रिलोक वशिष्ठ से विमल को मिलाते समय ग्रामीण प्रेमशंकर जाट, हंसराज चौबिसा, प्रभुलाल प्रजापत, पुष्कर जाट, रोशन जाट, गोपाल जाट, शंकरलाल जाट, अनिल स्वर्णकार मौजूद थे, जिन्होंने परिवार से संपर्क किया था। ग्रामीणों ने उत्साह के साथ दादा त्रिलोक और पौत्र विमल को ट्रेन से रवाना किया। इसके लिए ग्रामीण उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन तक पहुंचे।
Updated on:
10 Jul 2018 02:17 pm
Published on:
10 Jul 2018 02:12 pm
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