
रमाकांत कटारा/ उदयपुर . आज हिंदी भाषियों के लिए गर्व और गौरव अनुभूति का दिन है। यह ङ्क्षहदी दिवस स्वर्णिम है, क्योंकि हिंदी चीन की मंदारिन भाषा को पछाड़ कर विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन गई है। हिंदी के बढ़ते गौरव का ही प्रताप है कि पॉलैंड की वारसा यूनिवर्सिटी अगले वर्ष जुलाई में हिंदी के मध्यकाल साहित्य पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन करने जा रही है जिसमें देश-विदेश के 2000 हिंदी के विद्वानों को आमंत्रित किया गया है। जाने-माने शिक्षाविद् डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल की शोध रिपोर्ट के अनुसार सरल और वैज्ञानिक भाषा होने के कारण हिंदी पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रही है। 110 करोड़ लोग मंदारिन जानते हैं, वहीं अब हिंदी जानने वालों की संख्या 130 करोड़ हो गई है। इधर, हिंदी की विशिष्ट उपलब्धि पर मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय ने हिंदी के प्राचीन गं्रथों और पांडुलिपियों के लिए विशेष पुस्तकालय स्थापित करने का निर्णय किया है।
देश : हिंदी जानने वालों की संख्या
पाकिस्तान : 16.51 करोड़
बांग्लादेश : 5.95 करोड़
नेपाल : 2.52 करोड़
म्यामार: 32.21 लाख
मलेशिया : 27.11 लाख
यूके : 25.32 लाख
अमरीका: 22.12 लाख
दक्षिण अफ्रीका: 15.12 लाख
सउदी अरब: 15.03 लाख
अमरीका में हिंदी सिखाने के लिए बजट
हिंदी ने विश्व की प्रमुख 6 भाषाओं को काफी पीछे छोड़ दिया है। अब विश्व की कुल आबादी के 18 प्रतिशत लोग हिंदी जानते हैं। हिंदी के लिए एक और गर्व की बात है कि अमरीका ने स्कूल व विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण के लिए विशेष बजट स्वीकृत किया है। हम विश्व के सबसे युवा और एक बड़ा राष्ट्र हैं, अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक प्रतिस्पद्र्धा को ध्यान में रखते हुए विदेशी भी हिंदी शिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
हिंदी की विशिष्ट उपलब्धि के सम्मान में विश्वविद्यालय ने प्राचीन हिंदी ग्रंथों का पुस्तकालय शुरू करने का निर्णय किया है। हमने पुरात्व विभाग को भी प्राचीन पांडुलिपियां उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा है, जिससे हम पुरा ज्ञान का संवर्धन कर सकें।
प्रो. जेपी. शर्मा, कुलपति सुखाडिय़ा विवि
Published on:
14 Sept 2017 01:33 pm
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