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निमोनिया के कारण हो रहा है हाइपोक्सिया, सतर्क रहने की जरूरत

- रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी श्वास लेने में परेशानी के लक्षण

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भुवनेश पंड्या

उदयपुर. यदि कोई मरीज कोरोना पॉजिटिव है, तो उसे श्वास लेने में परेशानी होती है, या वह जितनी आक्सीजन की उसे जरूरत है, इतनी नहीं ले पाता है। ऐसे में उसे खतरा हो जाता है, लेकिन इन दिनों ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जिनकी रिपार्ट नेगेटिव है, यानी वे कोरोना संक्रमित नहीं है, फिर भी उन्हें हाइपोक्सिया की समस्या है। इसका कारण चिकित्सक निमोनिया को मानते हैं।

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ये है हाइपोक्सिया हाइपोक्सिया वह स्थिति है जिसमे शरीर या शरीर के अंग को ऊतक स्तर पर पर्याप्त ऑक्सीजन नही मिल पाती है। ज़ोरदार शारीरिक व्यायाम से भी हाइपोक्सिया की स्थिति बन सकती है। हाइपोक्सिया ऑक्सीजन की कमी को या आपूर्ति न हो पाने को कहा जाता है। हाइपोक्सिया के जोखिम शिशुओं को अक्सर इनक्यूबेटर के अंदर रखा जाता है जो की निरंतर सकारात्मक एयरवे प्रेशर प्रदान करने में सक्षम होता है। बड़ों में हाइपोक्सिया की वह स्थिति है जिसमे व्यक्ति अत्यधिक बीमार हो जाता है। इसके लक्षणों में शामिल है चक्कर आना, थकान, सुन्नता, मतली, अनॉक्सिता और पाँव में झुनझुनी होना। गंभीर हाइपोक्सिया की स्थिति में गतिभंग, भ्रम की स्थिति, भटकाव, दुरूस्वप्न, व्यवहार में बदलाव, गंभीर सिर दर्द, चेतना, सांस लेने में तकलीफ , पीलापन। कई बार रक्त चाप में कमी होने से मृत्यु तक हो सकती है। इसके लिए निमोनिया से बचने के सभी उपाय करने चाहिए।

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ये है निमोनिया से बचने के उपाय - निमोनिया और उससे बचने का उपाय निमोनिया फेफ ड़ों में असाधारण तौर पर सूजन आने के कारण होता है। इसमें फेफ ड़ों में पानी भी भर जाता है। आमतौर पर निमोनिया कई कारणों से होता है जिनमें प्रमुख हैं बैक्टीरिया, वायरस, फं गी या अन्य कुछ परजीवी। इनके अलावा कुछ रसायनों और फेफ ड़ों पर लगी चोट के कारण भी निमोनिया होता है। बैक्टीरिया जनित निमोनिया दो से चार सप्ताह में ठीक हो सकता है। इसके विपरीत वायरल जनित निमोनिया ठीक होने में अधिक समय लेता है। मूलत: निमोनिया का पता इस बात से अधिक लगाया जाता है, कि पहली बार बीमारी का पता चलने के समय रोगी कितना बीमार था। निमोनिया के मरीज को सादा भोजन करना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए। मरीज को तेल, मसालेदार और बाहर के खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

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लक्षण निमोनिया में अक्सर रोगी खून भी थूकते हैं। इसके अलावा चमड़ी का नीला पडऩा, मतली, उल्टी, व्यवहार परिवर्तन, थकान, भूख न लगना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द भी होता है। छाती में दर्द, तेज बुखारए जो 103 से 104 डिग्री तक पहुंच जाता है। सर्दी लग कर शरीर ठंडा पड़ जाना, सिर दर्द, सूखी खांसी, खांसने पर कम मात्रा में ललाई युक्‍त कफ आना। छोटे या नवजात बच्चों में कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देता है। ---ये है सतर्कता निमोनिया में - घरेलू उपचार - सबसे पहले तत्काल चिकित्सक की सलाह लें। - रोगी को गर्म कमरे में रखे। - खुली हवा और आक्‍सीजन पूरी मात्रा में मिलनी चाहिये। - गर्म पेय जैसे चाय, गर्म पानी, गर्म फ लों का रस पीते रहे। - आयुर्वेद चिकित्सक से भी परामर्श ले सकते हैं। -

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हाइपोक्सिया होने का मुख्य कारण निमोनिया होना है। ऐसे में यदि मरीज नेगेटिव भी है तो भी उसमें हाइपोक्सिया के लक्षण रहते हैं। इससे बचने के लिए पहले निमोनिया नहीं होने के उपाय जरूरी है।

डॉ हेमन्त महुर, फिजिशियन एमबी हॉस्पिटल उदयपुर


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