
प्रतीकात्मक तस्वीर, मेटा एआइ
Maharana Pratap Tourism Circuit: उदयपुर। पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और इतिहास से जुड़े स्थलों को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने की दिशा में राजस्थान सरकार ने महाराणा प्रताप पर्यटन सर्किट के प्रथम चरण को हरी झंडी दी है। इस चरण में 175 करोड़ रुपए से विभिन्न विकास कार्य कराए जाएंगे।
योजना के तहत चावंड, हल्दीघाटी, गोगुंदा और दिवेर जैसे ऐतिहासिक स्थलों को एक सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। पर्यटन सर्किट को भव्य बनाने के लिए एनबीसीसी, इंजीनियर्स इंडिया जैसी केन्द्र की प्रतिष्ठित संस्थाएं समन्वय करेंगी। चारों स्थल विकसित करने के लिए डीपीआर तैयार हो चुकी है। इसकी टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
प्रताप से जुड़े स्थल अब तक उपेक्षा के शिकार रहे हैं। पर्यटन सर्किट में इन स्थलों की काया पलट होगी। इससे
न केवल ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण होगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। साथ ही देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
योजना के अनुसार चावंड में स्थित झील पर महाराणा प्रताप की समाधि के सौंदर्यीकरण और विकास कार्य कराए जाएंगे। इसके लिए 5 से 8 करोड़ रुपए की राशि प्रस्तावित की है। इन कार्यों में विरासत संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाएगा और सभी कार्य वेटलैंड नियमों का पालन करते हुए होंगे।
इसके अलावा चावंड में ही महाराणा प्रताप की स्मृति में एक विशाल मैमोरियल का निर्माण प्रस्तावित है। यह मैमोरियल 22 से 25 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा, जिसमें इतिहास, संस्कृति और शौर्य गाथा को आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। कार्ययोजना के अनुसार गोगुंदा और चावंड से जुड़े कार्यों की कार्यकारी एजेंसी आरएसआरडीसी होगी।
हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप एवं चेतक मेमोरियल का भव्य निर्माण किया जाएगा। यह मैमोरियल न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी एक प्रमुख आकर्षण बनेगा। यहां आने वाले पर्यटकों को युद्ध की पृष्ठभूमि, मेवाड़ की संस्कृति और वीरता की गाथा से रूबरू कराया जाएगा। इस पर 145 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
महाराणा प्रताप पर्यटन सर्किट के तहत दीवेर और गोगुंदा को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। हल्दीघाटी और दिवेर से संबंधित कार्यों की कार्यकारी एजेंसी स्वयं राजस्थान धरोहर प्राधिकरण होगी और मॉनिटरिंग भी उसी के स्तर पर की जाएगी।
महाराणा प्रताप पर्यटन सर्किट के पहले चरण के लिए डीपीआर तैयार हो चुकी है। जल्द पहले चरण को लेकर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सरकार के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण है। उसी अनुरूप फैसले लिए जा रहे हैं।
ओंकारसिंह लखावत,अध्यक्ष, धरोहर प्राधिकरण
Published on:
23 Dec 2025 12:03 pm
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