
उदयपुर. आज की राजनीति में नेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने से बाज नहीं आते। जबकि पहले वरिष्ठ नेता भी एक दूसरे का सम्मान करते थे। ऐसा ही किस्सा पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा और जनसंघ के दिग्गज नेता पूर्व सांसद भानु कुमार शास्त्री का है। दोनों ने राजनीतिक परिपक्वता और सहिष्णुता का एक बेहतर उदाहरण दिया। उन्होंने एक मंच से दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं को भाषण दिया और फिर एक ही कमरे में ठहरे भी थे। बात सन 1980 के लोकसभा चुनाव की है। उस दौरान राजसमन्द जिले के केलवाड़ा में एक समय और एक स्थान पर दोनों नेताओं की आमसभा तय हो गई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा उदयपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी थे। उनके सामने जनता पार्टी के मौजूदा सांसद भानुकुमार शास्त्री मैदान में थे। संयोगवश केलवाड़ा में दोनों की सभा तय हो गई। दोनों दलों के कार्यकर्ता अपने झंडे लेकर मंच बनाने को लेकर हो रहे विवाद में डटे हुए थे। भानुकुमार शास्त्री और मोहनलाल सुखाडिय़ा पहुंचे और अकेले में बात की। कुछ ही देर बाद शास्त्री ने घोषणा कर दी कि पहले सुखाडिय़ा भाषण देंगे। सुखाडिय़ा ने भाषण में कहा कि मेरे बाद मंच पर झंडा-बेनर बदलेगा और भानुकुमार शास्त्री का भाषण होगा और कांग्रेस कार्यकर्ता भी शास्त्री का भाषण सुनकर जाएंगे। पूर्व सीएम सुखाडिय़ा दिनभर गांवों का दौरा करके रात को केलवाड़ा डाक बंगले में पहुंचे तो पता चला कि रूम खाली नहीं है। भानुकुमार शास्त्री भी वहीं ठहरे हुए थे। उन्होंने सुखाडिय़ा को अपने रूम में जगह दी।
Updated on:
30 Mar 2024 09:12 pm
Published on:
30 Mar 2024 09:09 pm
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