
CHOUPAL
उदयपुर. लोकसभा चुनावों को देखते हुए विभिन्न दलों के प्रत्याशी दिन-रात प्रचार में जुटे हुए हैं। बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी की जा रही है। ऐसे में मतदाता भी प्रत्याशियों की घोषणाओं का विश्लेषण करने लगे हैं। दूधतलाई पर मंगलवार को लगी पत्रिका चौपाल में शहर के लोगों ने खुलकर अपनी बात रखी।
उदयपुर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाए। इसके साथ ही इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी यहां से शुरू होनी चाहिए। रेलवे के क्षेत्र में गत कुछ वर्षों में कई विकास हुए हैं। अब उदयपुर को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए नई ट्रेनों की आवश्यकता है। सरकारी स्थानों का निजीकरण हो तो उन पर निगरानी के लिए उचित कमेटी बनाई जाए। व्यवस्था बिगड़ने पर जिम्मेदारों को भी सजा मिले।
- भगवती मेहता (मुन्ना भाई)
हमारा शहर पर्यटन क्षेत्र यहां की ऐतिहासिक झीलों में सीवरेज का गंदा पानी समा रहा है। बार-बार मुद्दा उठता है और हर बार फोरी कार्रवाई होकर रह जाती है। इस समस्या का समाधान शीघ्र निकाला जाना चाहिए। इन्हीं झीलों से उदयपुर को रेवेन्यू मिलती है और पीने का पानी भी। ऐसे में इनकी स्वच्छता के प्रति किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
- विष्णु आचार्य
शिक्षा में बड़े-बड़े कोर्स पढ़ाए जाते हैं। उन कोर्स के अनुसार स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पर सुनिश्चित करवाने चाहिए। प्लेसमेंट शिविर के माध्यम से युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ ही उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए भी सरकारी स्तर पर विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और ऋण उपलब्ध करवाए जाने चाहिए।
- राजेश सिन्हा
स्मार्ट के काम से लोग परेशान है। इस काम की निष्पक्ष जांच करवाई जाए। जनता की अपेक्षा के अनुसार कमियों को दूर करके लोगों को राहत प्रदान की जाए। शहर के हेरिटेज का संरक्षण करने के साथ ही उपेक्षित हेरिटेज को भी पर्यटन दृष्टि से विकसित किया जाए। इन स्थानों को व्यापक प्रचार-प्रसार हो ताकि पर्यटक इनकी खूबसूरती को देख सकें।
- प्रदीप श्रीमाली
हमारे शहर में मौजूद पर्यटन स्थलों और बगीचों का उचित रखरखाव हो। गुलाब बाग, दूधतलाई के साथ ही कई पार्क उपेक्षित है। गुलाबबाग में हो रही पेड़ों की कटाई रोकी जाए। वहां ग्रेविटी से पानी की सप्लाई हो रही थी। इससे वर्षभर पेड़ हरे भरे रहते थे। विकास के नाम पर नवाचार करने से कई पेड़ सूख रहे हैं। इस व्यवस्था को पुन: शुरू किया जाए।
- जितेंद्र सनाढ्य
आयड़ नदी के सौंदर्यीकरण के नाम पर जनता को वर्षों से मुर्ख बनाया जा रहा है। विकास के नाम पर नदी में भारी मात्रा में भराव डालकर इसकी जल निकासी की क्षमता को प्रभावित किया जा रहा है। नदियों का विकास किनारे पर होता है न की पेटे में। जिस प्रकार गुजरात में साबरमती के किनारे सोलर पैनल लगाए गए हैं, उसी तर्ज पर उदयपुर की आयड़ नदी का भी विकास हो।
- हेमंत वैष्णव
स्मार्ट सिटी के कार्य से आमजन दुखी है। कई स्थानों पाइप-लाइन से पेयजल सप्लाई का पानी सड़कों और अंडरग्राउंड बह रहा है। इसके साथ ही गिली सड़कों पर वाहन चलाना और पैदल चलना मुश्किल हो गया है। सड़कें इतनी चिकनी हो गई है कि आए दिन लोग नीचे गिरकर घायल हो रहे हैं। रसोई के चैंबर की सफाई नहीं होने से इनका पानी भी सड़कों पर बह रहा है।
- गौरव मेहता
पूरे प्रदेश में हमारे यहां झीलें अधिक है, इसके बावजूद झील विकास प्राधिकरण का कार्यालय यहां नहीं है। उदयपुर में कार्यालय होने से यहीं अधिकारी झीलों के संरक्षण, संवर्धन के बारे में उचित निर्णय ले सकेंगे। निजी नावों को रोकने का कई बार निर्णय लिया गया, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। इसके साथ ही अन्य मुद्दों पर जयपुर और उदयपुर के अधिकारी गेंद एक-दूसरे के पाले में डालते रहते हैं।
- निपुण सेन
पुराने शहर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहरों को देखने के लिए पर्यटक खींचे चले आते हैं। सीजन में गुलाब बाग, दूधतलाई, जगदीश चौक, घंटाघर, गणगौर घाट आदि क्षेत्रों में दिन में कई बार जाम लगते हैं। इन स्थानों पर बसों और बड़े वाहनों का प्रवेश बंद किया जाना चाहिए। इसके साथ ही ई-रिक्शा या अन्य संसाधनों का उपयोग करने से शहरवासियों के साथ ही पर्यटकों को सुविधा मिलेगी।
- आजाद सिंह गहलोत
उदयपुर का विकास तेजी से हो रहा है। हमारे पास मौजूद पेयजल के संसाधनों से भी पूरे शहर को पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। पानी के लिए खोदे जा रहे ट्यूबवैल से भू-जल स्तर भी निरंतर नीचे आ रहा है। ऐसे में अब पेयजल के स्थायी और बड़े स्रोत की आवश्यकता प्रबल हो गई है। जल्द ही इस विषय पर ध्यान नहीं दिया गया तो परेशानी होगी।
- शक्ति सिंह गहलोत
शहर के पहाड़ों और प्राकृतिक स्थानों को संरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है। रेवेन्यू लैंड के नाम पर पहाडों की अंधाधुंध कटाई आने वाले समय में हमारे लिए घातक सिद्ध होगी। शहर में जो पर्यटन क्षेत्र है वे बदहाल है। उन्हें विकसित करने के साथ ही नए पर्यटन क्षेत्रों बनाने की आवश्यकता है। कई बार सरकारी विभागों की खींचतान का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।
- तुशांत पुरी गोस्वामी
किसी जमाने में गुलाबबाग में कई वैरायटियों के गुलाब मिलते थे। जो अब गिनती के रह गए हैं। यहां मौजूद विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधों को संरक्षण की आवश्यकता है। इसके साथ ही यह बाग ऑक्सीजन हब है। इसमें पर्यटन के नाम पर नए संसाधन खड़े करने की बजाय पुराने संसाधनों और व्यवस्थाओं संरक्षित रखते हुए पर्यटकों को आकर्षित किया जाए।
- यशपाल सिंह चौहान
पर्यटन क्षेत्रों पर गूगल मैप लगाए जाए। रेलवे, रोडवेज, एयरपोर्ट आदि स्थानों पर विश्व स्तर के पर्यटन केंद्र बनाए जाए। शहर की आबोहवा सही रखने के लिए पुराने डीजल ऑटो का अंदरुनी शहर में प्रवेश प्रतिबंधित हो। ई-रिक्शा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए सहायक सड़कों का निर्माण किया जाना चाहिए।
- निखिल मेहता
Updated on:
19 Apr 2024 10:50 pm
Published on:
19 Apr 2024 10:32 pm
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