
मधुलिका सिंह. डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम का नया तरीका है। इसमें ठग आपको पुलिस, नारकोटिक्स डिपार्टमेंट, रिजर्व बैंक या सीबीआई का अधिकारी बन वीडियो कॉल करते हैं। वे बताते हैं कि आपका आधार कार्ड व सिम कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक अकाउंट का उपयोग किसी गैर कानूनी काम के लिए हुआ है। यहां से आपको डराने-धमकाने का सिलसिला शुरू होता है। पूछताछ के नाम पर आपको वेबकैम, स्काइप से वीडियो कॉल पर आमने-सामने बैठाकर रखते हैं।
इस दौरान नकली पुलिस अफसरों से भी अलग-अलग नंबरों पर बात कराई जाती है। फिर जमानत के नाम पर ओटीपी या जी-मेल अकाउंट की डिटेल्स मांग ली जाती है। लोग डर जाते हैं और बैंक खातों की जानकारी साइबर ठगों को दे देते हैं। इसे लेकर राजस्थान पुलिस व गृह मंत्रालय की ओर से लोगों को सतर्क किया जा रहा है। देश भर में अचानक बढ़े डिजिटल अरेस्ट के मामलों ने साइबर विशेषज्ञों को भी चौंका दिया है।
हालही जयपुर में एक महिला बैंक मैनेजर को वीडियो कॉल कर पांच घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करने और 17 लाख रुपए की साइबर ठगी की घटना हुई। साइबर ठग ने महिला के आधार कार्ड, उसके नाम पर जारी सिम से अवैध गतिविधियों के संचालन की बात कहकर डराया। कुछ ही घंटों में 17 लाख रुपए ऐंठ लिए।
झुंझुनूंमें महिला प्रोफेसर को कॉल कर अपने को दूरसंचार (ट्राई) का अधिकारी बताया और कहा कि महिला प्रोफेसर के नाम से जारी दूसरे मोबाइल नम्बर का साइबर क्राइम में उपयोग हुआ है। प्रोफेसर ने खुद को बड़ी मुसीबत में मान आरोपियों के कहे अनुसार 42 बार में 7.67 करोड़ रुपए कई खातों में जमा करा दिए।
जयपुर के व्यापारी को साइबर ठग ने फोन पर कहा कि वो दिल्ली एयरपोर्ट से बोल रहा है और आपके द्वारा चाइना भेजे जा रहे पार्सल में 300 ग्राम हेरोइन, फर्जी पासपोर्ट व 15 सिम कार्ड मिले हैं। व्यापारी को दो दिन मॉनिटरिंग पर रखा और नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ा मामला बताकर 50 लाख रुपए ठग लिए।
Published on:
28 Jun 2024 10:52 am
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