
बच्चों को घर पर छोड़कर गए थे अयोध्या, आंखों के सामने गिरता देखा गुम्बज
उदयपुर. Ram Mandir In Ayodhya: 6 दिसंबर कार सेवा के लिए नियमित रूप से उदयपुर से जत्थे रवाना हो रहे थे। चारों तरफ राम के नारों की गूंज सुनाई दे रही थी। हर कोई अयोध्या जाने को ललायित था। उन्ही में से एक कारसेवक थे। राजस्थान क्षेत्र संयोजक गो सेवा एवं ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक रहे राजेन्द्र पामेचा। पामेचा ने बताया कि कारसेवकों की रवानगी के समय पूरा शहर रेलवे स्टेशन पर उमड़ पड़ा था। 1992 में पूरे देश में कारसेवकों की गूंज सुनाई दे रही थी। मैं और मेरी पत्नी रुक्मा पामेचा अपने पुत्र 2 वर्ष के राहुल और 5 वर्ष के पुनीत को घर छोड़कर रवाना हुए। उनके साथ संजय कोठारी, विनोद चपलोत, हितेश आचार्य, नरेश खट्टर बिना बताए घर से निकले ओर जत्थे में शामिल हुए। सभी कारसेवक जगदीश मंदिर के दर्शन कर रवाना हुए।
अयोध्या पहुंचने के बाद सर्दी में खुली जगह में एक कंबल में दो-तीन लोग सोए। 6 दिसंबर 1992 को आचार्य धर्मेन्द्र का भाषण सुन रहे थे। एक सूचना पर सभी कारसेवक मुट्ठीभर सरयू नदी की रेती से कार सेवा करेंगे। देखते ही देखते वहां िस्थत विवादित गुम्बज पर कारसेवक चढ़े। इससे कारसेवकों में जोश आ गया और सुरक्षा घेरा टूट गया। सुंदर कटारिया ने इसकी जानकारी दी तो कारसेवक गुम्बज पर नारे लगाते हुए चढ़ गए। देखते ही देखते ढांचा गिरा दिया गया।
इस ढांचे में से उदयपुर के कई लोग धूलधूसरित होकर निकलते नजर आए। रात दो बजे मंदिर निर्माण का आव्हान हुआ। मंदिर की तरफ आने वाली गलियों में कारसेवक बैठ गए। ताकि मिलिट्री नहीं आ सके। मंदिर निर्माण ईंट देकर मैं स्वयं इसका साक्षी बना। अब वनवास समाप्त हो गया है। वापस लौटते समय कर्फ्यू लगा हुआ था, इस कारण कारसेवकों को दो दिन भूखे रहना पड़ा।
Published on:
19 Jan 2024 10:00 pm
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