
उदयपुर . Sharad Purnima 2023: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं यानी 16 कलाओं के साथ होता है और पृथ्वी पर चारों ओर चंद्रमा की उजास फैली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है, इसलिए रात्रि में चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा भी है। लेकिन, इस बार ना तो चंद्रमा की किरणों से अमृृत वर्षा होगी और ना ही चांदनी में खीर रखी जाएगी। दरअसल, पूर्णिमा के दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। ऐसे में ग्रहण का साया होने से शरद पूर्णिमा पर चांदनी में खीर नहीं रखी जा सकेगी।
शाम 4 बजे से शुरू होगा सूतक
पं. जितेंद्र त्रिवेदी जॉनी के अनुसार इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा। शरद पूर्णिमा की देर रात 01:06 बजे चंद्र ग्रहण लगेगा, जो मध्य रात्रि 02:24 बजे खत्म होगा। जिसका सूतक काल शाम चार बजे शुरू हो जाएगा। ऐसे में चंद्रग्रहण तक खीर बनाना निषेध रहेगा। खीर बनाने के दूध में सूतक काल शुरू होने के पहले कुशा डाल दें फिर उसे ढककर रख दें। इससे सूतक काल के दौरान दूध शुद्ध रहेगा। ग्रहण खत्म होने के बाद में इसकी खीर बनाकर भोग लगा सकेंगे।
शरद पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ : 28 अक्टूबर, शनिवार, प्रात: 04:17 बजे से
शरद पूर्णिमा तिथि का समापन : 29 अक्टूबर, रविवार, 01:53 बजे रात में
चंद्र ग्रहण 2023 समय
ग्रहण का स्पर्श रात- 1:05 बजे
ग्रहण का मध्य रात्रि 1:44 बजे
ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2:24 बजे
ग्रहण का सूतक दोपहर 4:05 बजे
शुरू होंगे दीपदान, कार्तिक पूर्णिमा तक किए जाएंगे
शरद पूर्णिमा से कार्तिक मास के यम नियम, व्रत और नित्य दीपदान करने की परंपरा शुरू होती है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलती है। इससे दुख दारिद्र्य का नाश होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की निशा में ही भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना तट पर गोपियों के साथ महारास रचाया था। ऐसे में इस दिन महारास के आयोजन भी होते हैं।
Published on:
19 Oct 2023 09:45 am
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