5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महाशिवरात्रि विशेष : उज्‍जैैैन के महाकाल की तरह ही है उदयपुर के महाकालेश्‍वर की आस्‍था, आप भी देखेंगे तो हो जाएंगे बाबा के भक्‍त

- चारों समय शिवलिंग का रंग भी अलग अलग स्वरूप में होता है।

2 min read
Google source verification
mahakaleshwar temple

प्रमोद सोनी/उदयपुर. रानी रोड स्थित महाकालेश्वर मंदिर प्रमुख आस्था का केंद्र है। यह मंदिर फतहसागर किनारे बना हुआ है। पहले मंदिर में महाकाल के दर्शन करने के लिए एक बार में एक ही व्यक्ति जा सकता था। भक्तों की अटूट आस्था व समय के साथ मंदिर को भव्य बनाया गया। आज पूरा मंदिर सफेद मार्बल्स से बनाया जा रहा है। साथ ही मंदिर के बाहर चारों कोनों पर फव्वारे बनाए जा रहे हैं जो शिवरात्री के दिन से चलेंगे।

महाकाल मंदिर की विशेषता
महाकालेश्वर का मंदिर फतहसागर झील के किनारे बना हुआ है। कहते हैंं कि मंदिर नगर स्थापना से भी पुराना है। करीब नौ सौ साल पुराना एकलिंग जी के समकालीन का मंदिर है। बताते हैंं कि महाकालेश्वर स्वयंभू (स्वयं प्रकट) हुए हैं और यहां पर सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माना जाता है कि जहां भी स्वयंभू शिवलि‍ंंग होते हैं वहां पूजा-अर्चना और लोगों की मान्यता के साथ-साथ में अमिट पुण्यदायी और फलदायी होते हैं।

READ MORE : video: भोले के द्वार उमड़ेंगे भक्‍त, उदयपुर में शिवरात्रि को लेकर सजने-संवरने लगे शिवालय

इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि सवेरे मंगला,मध्याह्न,सायंकाल और रात्र‍ि को चारों समय शिवलिंग के विग्रह के जो दर्शन होते हैं अलग-अलग स्वरूप के होते हैं और चारों समय महाकालेश्वर अलग -अलग रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।

मंगला दर्शन के समय विग्रह बाल स्वरूप में व शिवलि‍ंंग वर्ण का रंग श्‍वेत वर्ण होता है।

मध्याह्न में युवा विग्रह के दर्शन स्वरूप में व शिवलि‍ंंग वर्ण का रंग गहरा होता है।

सायंकाल में पूर्ण रूप विग्रह स्वरूप में व शिवलि‍ंंग वर्ण का रंग महाकाल होता है।
रात्रि‍ में वृद्व विग्रह के दर्शन स्वरूप में व शिवलि‍ंंग वर्ण का रंग महाकाल वास्तविक रूप में होता है।

चारों समय शिवलिंग का रंग भी अलग अलग स्वरूप में होता है।