12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उदयपुर में आदिवासियों की कला और ज्ञान पर नहीं हो रहा शोध, विद्यार्थियों को कोचिंग देने तक सिमटा ये संस्‍थान

 टीआरआई में घट रही गुणीजनों की संख्या

2 min read
Google source verification
TRI

उदयपुर. संभाग आदिवासी कला और संस्कृति के मामले में समृद्ध है मगर माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान (टीआरआई) में रिक्त पदों के चलते आदिवासियों की कला और ज्ञान पर व्यापक शोध नहीं हो पा रहा है। आदिवासी गुणीजनों की विशिष्ट चिकित्सा पद्धति रही, जो आज भी कारगर है। शोध के अभाव में यह विद्या दिनों-दिन लुप्त रही है। टीआरआई का कार्य जनजाति विद्यार्थियों को कोचिंग और छात्रवृत्ति तक सिमट कर रह गया है। गुणीजनों की घटती संख्या से इस परम्परागत चिकित्सा पद्धति पर विशेष शोध और इसे संरक्षित करने की महती आवश्यकता है। अरावली पर्वतमाला में औषधीय पौधों का भंडार है।


आदिवासियों की चिकित्सा पद्धति दर्जनों बीमारियों का कम खर्च में उपचार किया जा सकता है। गौरतलब है कि पूर्व राज्यपाल मारग्रेट आल्वा के घुटनों का गुणीबाई ने सफल उपचार किया जबकि चिकित्सकों ने उन्हें दोनों घुटनों का ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी।

READ MORE: उदयपुर में अगले बरस आने के वादे के साथ दी बप्पा को विदाई, झीलों में सिर्फ सांकेतिक विसर्जन


2013 के बाद नहीं हुआ प्रकाशन

टीआरई का प्रमुख कार्य आदिवासी कला, संस्कृति, ज्ञान आदि पर विशेष शोध कर इसका संरक्षण करना है। टीआरआई की वेबसाइट को सही मानें तो २०१३ के बाद टीआरआई की ओर से कोई प्रकाशन भी नहीं किया गया है। कोटड़ा, झाड़ोल, फलासिया, गोगुंदा, सलंूबर क्षेत्र में पूर्व में काफी संख्या एेसे आदिवासी समुदाय के लोग थे, जो जड़ी- बूटियों से विभिन्न बीमारियों के उपचार की विशेष जानकारी रखते थे। यह उपचार काफी वैज्ञानिक है। आयुर्वेद के समकक्ष इस चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन नहीं मिलने से गुणीजन कम हो रहे हैं। कई निजी संस्थाएं इन गुणीजनों के ज्ञान से लाखों रुपए कमा रही हैं।

टीआरआई सुनियोजित और योजनाबद्ध तरीके से अपना कार्य कर रहा है। जो शोध हुए हैं, उनकी जानकारी सूची में दर्ज है। पूर्व में गुणीजनों के लिए मेले का आयोजन करवाया गया था। फिलहाल गुणीजनों की उपचार पद्धति पर कोई शोध हो रहा है या नहीं, सूची देख कर ही बता सकते हैं।

बाबूलाल, निदेशक टीआरआई

ये भी पढ़ें

image