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काल कोठरी के अंधेरे में 30 सालों से जकड़ी है भीमा की दिवाली, मां-बाप ने ही बेटे को दी है ये सजा

- मानसिक रूप से ठीक ना होने पर सेमारी पंचायत के दर्जनपुरा गांव के भीमा को मां-बाप ने बेडियों में जकड़ के रखा है कोठरी में

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उदयपुर . शहर के सेमारी पंचायत के दर्जनपुरा गांव में पिछले तीस वर्षों से एक व्यक्ति काल कोठरी में कैदी की जिन्दगी जी रहा है। मानसिक बीमार भीमा के बूढ़े मां-बाप उसका इलाज नहीं करवा पा रहे जिससे 30 सालों से भीमा की दिवाली बेडिय़ों में बंधी है। इस परिवार को आस है लक्ष्मीपति की जो इनके लिए भगवान बनकर आए और भीमा को ठीक करवा दे।

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उदयपुर के सेमारी पंचायत समित के दर्जनपुरा निवासी मेघजी की इकलौती संतान भीमा 30 सालों से बेडिय़ों में बंधा है। दिमागी हालत ठीक नहीं होने से भीमा कभी इस कोठरी से बाहर नहीं आ पाया है। बूढ़े मां-बाप उसकी देखभाल करते हैं। यह बुजुर्ग दम्पती भीमा को बेडिय़ों से आजाद नहीं कर सकते नहीं तो वह कहीं चला जाए तो उसे वापस लाना मुश्किल हो जाए। अपने बेटे का इलाज करवाने के लिए इस किसान दम्पती ने सब कुछ दांव पर लगा दिया लेकिन यह ठीक नहीं हुआ। ऐसा नहीं है कि भीमा ठीक नहीं हो सकता। उसके पिता ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा कि अच्छे अस्पताल में बढिय़ा इलाज से यह संभव है लेकिन दरिद्रता के चलते हम सक्षम नहीं है। दीपावली की रोशनी भीमा की इस कोठरी में नहीं आई है। परिवार को आस रहती है कि कोई लक्ष्मीपति उनकी मदद करे ते उनके घर में भी सदा खुशियों की दिवाली मन सकती है।

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भीमा उसकी मां के हाथ से ही खाना खाता है। बुजुर्ग दम्पती खेतीबाड़ी से जीवनयापन कर रहा है लेकिन इकलौते बेटे के इस हाल पर उनकी पथराई आंखें डबडबा आती हैं। भीमा की ये दिवाली भी बेडिय़ों में जकड़ी हुई निकली।