
अनिल वैरागी/परसाद(सलूम्बर). जहां आज अधिकतर लोग केवल अपने हितों में उलझे है, वहीं कुछ ऐसे लोग भी है, जो निस्वार्थ सेवा को ही जीवन का धर्म मानते है। सलूम्बर जिले की जयसमंद पंचायत समिति के पलोदड़ा गांव में रहने वाले पुष्करराज जीनगर ऐसे ही एक उदाहरण है, जो हर दिन सैकड़ों परिंदों की भूख मिटाकर मानवता की अनसुनी पुकार का उत्तर दे रहे है। पेशे से बैग, हुड व पर्दों की दुकान चलाने वाले पुष्करराज का दिन सूरज उगने से पहले शुरू होता है। सुबह उठते ही वे पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था में लग जाते है। बीते नौ वर्षों से वे प्रतिदिन तीन बार अपने खर्च पर 8 से 10 किलो अनाज डालते है।
पलोदड़ा गांव की खासियत है कि यह जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य के समीप स्थित है। यहां हर दिन कई प्रजातियों के पक्षी भोजन की तलाश में पहुंचते है। जिनमें ज्यादातर तोते होते है। इनके अलावा गौरेया, कबूतर, मोर, तीतर के साथ गिलहरियां भी दिनभर चारदीवारी के ऊपर मंडराते नजर आते है। पुष्करराज ने बताया कि अपने निवास के चारों ओर ऐसे स्थान चिन्हित किए है, जहां परिंदों के लिए सुरक्षित रूप से चुग्गा रखा जाता है।
पुष्करराज जब किसी निजी कारण से गांव से बाहर होते है, तब उनके पड़ोसी ललित चौधरी तथा उनका परिवार इस सेवा को निरंतर जारी रखते है। दिन में तीन बार उनकी ओर से दिए अनाज या कभी-कभी खत्म होने पर पडोसी व परिवार के सदस्य खुद अनाज खरीदकर पक्षियों के लिए चुग्गे की व्यवस्था करते है।
जहां आमजन पुण्य कार्यों को विशेष पर्वों तक ही सीमित रखते है, वहीं पुष्करराज 12 महीने, हर दिन पक्षियों की सेवा कर रहे है। साथ ही अन्य लोगों को भी पक्षियों के संरक्षण को लेकर संदेश दे रहे है। इसे लेकर कई ग्रामीण भी आगे आए और इससे जुड़ते हुए पक्षियों व जीवों की रक्षा में अपना सहयोग कर रहे है।
Published on:
17 May 2025 08:55 pm
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