पत्रिका की टीम ने 10 माह पहले कोटड़ा का दौरा कर मंत्री को परिवहन साधन नाकाफी होने की जानकारी दी थी। मंत्री ने जल्द संख्या बढ़ाने का भरोसा दिया था। गुरुवार को टीम ने फिर दौरा किया तो देखा की बढ़ने की जगह बसों की संख्या कम हो गई है। रूट पर महज दो बसें ही मिली। वापसी में एक बस थी वह भी घूमकर ही लौटने वाली थी।
मंत्री बोले- रोडवेज के पास बसें, चला नही रहे
दीपावली से पहले कोटड़ा की बसें कम कर दी। उदयपुर रोडवेज के पास बसें हैं, लेकिन कोटड़ा रूट पर नहीं चला रहे हैं। किलोमीटर संचालन का कोई नियम है तो बस को आगे के रूट पर चलाकर रास्ता निकाला जा सकता है। कहने के बावजूद स्थानीय रोडवेज प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा। उदयपुर डिपो मैनेजर की बेइमानी साफ झलक रही है। शुक्रवार को इस विषय पर विस्तार से बात करुंगा। वहीं 25 नवम्बर को जयपुर में सीएम को स्थिति से अवगत कराउंगा। -बाबूलाल खराड़ी, मंत्री, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग Share font-inc ImageView Text मंत्रीजी की भी नहीं सुन रहे अफसर तो जनता की क्या सुनेंगे: भरपूर यात्री भार के बावजूद नहीं बढ़ा रहे रोडवेज बसें
मंत्रीजी…! आपने तो कहा था कोटड़ा रूट पर बढ़ाएंगे रोडवेज बसें हकीकत- पहले से कम हो गई बसें, जो चल रही है, वो भी खटारा फॉलोअप 22/11/2024
लाइव: उदयपुर से कोटड़ा तक का सफर
सुबह 7.30 बजे उदियापोल बस स्टैंड से कोटड़ा के लिए बस रवाना हुई। स्टार्ट करने के लिए कर्मचारियों ने धक्का लगाया। शुरुआत में कुछ सीटें खाली थी। बस शिक्षा भवन चौराहा पहुंची, जहां पहले ही निजी बस खड़ी थी। रोडवेज के पहुंचते ही निजी बस रवाना हो गई। इसके बावजूद रोडवेज की सभी सीटों पर यात्री बैठ चुके थे। हर एक दो किमी पर बस रुकती और सवारियां चढ़ती रही। सीसारमा तक बस के केबिन में भी जगह नहीं बची। बस झाड़ोल जाकर खाली हुई। यहां से सवारी चढ़ी जो फलासिया में खाली हुई। पानरवा में बस लगभग खाली हो गई, लेकिन यहां से भी रोडवेज में बैठने वालों की संख्या कम नहीं थी। पांच घंटे के सफर के बाद दोपहर 12.30 बजे कोटड़ा पहुंचे। वहां पता चला कि दोपहर में लौटने के लिए एक भी बस नहीं है। ऐसे में निजी जीप चालक को 150 रुपए देकर उदयपुर लौटना पड़ा। रोडवेज का किराया 115 रुपए है। बता दें कि जिस बस में सफर किया उसकी एक दो खिड़कियों के कांच भी नहीं थे। बस का फ्रंट कांच एक कोने से तड़का हुआ था।
मंत्री बोले- रोडवेज के पास बसें, चला नही रहे
दीपावली से पहले कोटड़ा की बसें कम कर दी। उदयपुर रोडवेज के पास बसें हैं, लेकिन कोटड़ा रूट पर नहीं चला रहे हैं। किलोमीटर संचालन का कोई नियम है तो बस को आगे के रूट पर चलाकर रास्ता निकाला जा सकता है। कहने के बावजूद स्थानीय रोडवेज प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा। उदयपुर डिपो मैनेजर की बेइमानी साफ झलक रही है। शुक्रवार को इस विषय पर विस्तार से बात करुंगा। वहीं 25 नवम्बर को जयपुर में सीएम को स्थिति से अवगत कराउंगा। -बाबूलाल खराड़ी, मंत्री, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग
धक्का मारने पर स्टार्ट होती है बस
बस को रोडवेज बस स्टैंड पर धक्का देकर स्टार्ट किया। शिक्षा भवन चौराहे पर दस मिनट तक बस चालू ही रही। गोदाणा में एक सवारी पीछे रह गई, उसे बिठाने बस रोकी तो बंद हो गई। शुक्र रहा कि बस ढलान पर खड़ी थी। ऐसे में उसे गियर में स्टार्ट किया। ऐसा ही हाल झाड़ोल बस स्टैंड पर दिखा।
जानलेवा ढलान
रास्ते में सोम घाटा आता है। सिंगल रोड और तीखे मोड़ पर हर बस को चलाना आसान नहीं है। उदयपुर- अंबाजी वाली बस का चालक पहली बार इस रूट पर था। लगा कि बस सुरक्षित नहीं चल पाएगी। पानरवा पहुंचे तब चालक को शांति हुई।