
प्रदेश सहित उदयपुर जिले में कई ऐसे स्कूल है जहां नौनिहालों की जान पर खतरा मंडराता रहता है। कई जगह स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं तो कई जगहों में खुले में या झोंपड़ियों में कक्षाओं का संचालन किया जाता है। लेकिन, अब ऐसे जर्जर और असुरक्षित विद्यालय भवनों में शिक्षा नहीं दी जाएगी। शिक्षा महकमे ने जर्जर विद्यालय भवन में संचालित सरकारी स्कूलों की सुध लेते हुए दिशा निर्देश जारी किए हैं। स्कूल शिक्षा शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को विद्यालय भवन के जीर्णोद्धार, स्कूलों के लिए जमीन आवंटित करवाने और भवनों का निर्माण करवाने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं। साथ ही यहां पेयजल और शौचालयों की व्यवस्था सुनिश्चित करने को लेकर भी निर्देशित किया है।
जिला कलक्टर कराएंगे भूमि उपलब्ध
इसके तहत जिला शिक्षा अधिकारियों को भवन रहित सरकारी स्कूलों के लिए जिला कलक्टर या फिर राजस्व विभाग से सम्पर्क कर स्कूलों के लिए आवश्यक भूमि आवंटित कराने की कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। इसके अलावा यू-डाईस डाटा 2022-23 के अनुसार भवन रहित विद्यालयों की सूची समस्त मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों को प्रेषित कर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। भूमि आवंटन के अभाव में जब तक विद्यालय भवन का निर्माण नहीं होता तब तक विद्यालय के लिए वैकल्पिक सुरक्षित भवन की व्यवस्था करें।
560 विद्यालय अति जर्जर हालत में
उदयपुर जिले के कई विद्यालय जर्जर अवस्था में हैं। इसे लेकर पत्रिका ने कई बार मुद्दा उठाया। हाल ही 2 मई के अंक में नन्हीं जान जोखिम में… स्कूलों के भवन अब भी जर्जर, खुले में पढ़ रहे बच्चे शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसमें कोटड़ा, झाड़ोल, गिर्वा आदि के स्कूल भवनों के बदहाल हालात बताए गए। कोटड़ा में भवन जर्जर होने से वर्ष 2023 में बारिश के दौरान ढह गया था। भवन ढहने के बाद बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो् इसके लिए बच्चों के परिजनों और ग्रामीणों ने बांस और लकड़ियों से अस्थायी झोंपड़ा तैयार किया। आज भी 51 छात्र वहीं बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे स्कूलों में बारिश के समय परेशानी अधिक बढ़ जाती है। उदयपुर में करीब 560 विद्यालय अति जर्जर हालात में है, जबकि लगभग 1500 से अधिक स्कूल जर्जर अवस्था में हैं।
शिक्षा सचिव ने निर्देशों में स्पष्ट किया है कि राज्य में कहीं भी खुले में, झोंपड़ी में, पेड़ के नीचे, असुरक्षित स्थान पर कक्षाओं का संचालन नहीं किया जाए। इसके अलावा असुरक्षित और जर्जर विद्यालय भवनों को अध्यापन या अन्य किसी उपयोग में नहीं लेते हुए वहां छात्रों का प्रवेश वर्जित रखने, जिला स्तरीय निष्पादन समिति की ओर से विद्यालय भवन को जर्जर घोषित करने की कार्रवाई करने, बारिश से पहले छतों की सफाई, छतों के बन्द नालों की सफाई, बरसाती नालों के टूटे पाइपों की मरम्मत कराने के भी निर्देश दिए है।
Published on:
28 May 2024 02:59 pm
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