3 ए बनाम 3 वी की अवधारणा पर कार्य
परियोजना के तहत संस्थान की ओर से 3 ए बनाम 3 वी की अवधारणा पर कार्य किया जा रहा है। किशोरों में 3 ए अर्थात अहंकार, आधिपत्य और आक्रोश के भावों को 3 वी में बदलने का लक्ष्य है। इसमें 3 वी का तात्पर्य वॉइस अर्थात महिआ अधिकारों के लिए आवाज उठाएं, वायलेंस यानी उनके प्रति हिंसा को रोकें और विस्टा ऑफ अपॉर्चुनिटीज यानी अवसर प्रदान करें। इसके लिए संस्थान की ओर से किशोंरों के समूहों की विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही है। विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है तथा इन समूहों के बालकों के अभिभावकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
पानी लाने, झाडू लगाने और खाना पकाने से नहीं परहेज
इस परियोजना के तहत 30 गांवों के 30 समूहों से जुड़े किशोरवय बालकों के व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा है। अब वे घर के कार्य करना जैसे पानी लाना, झाडू लगाना या खाना पकाना आदि में संकोच नहीं करते। घर का काम – सबका काम जैसी गतिविधि के तहत उनके मन से पुरुषत्व की गलत परिभाषा को बदला गया। इसी तरह शारीरिक ताकत को पुरुषत्व की पहचान जैसे भाव को बदलने के लिए दादागिरी नहीं मददगिरी का नारा दिया। जिसमें उनमें स्टंट दिखाने या शक्ति प्रदर्शन के बजाय दूसरों की मदद के भाव पैदा किए। लड़कियों को प्रोत्साहित या अवसर देने के लिए इन बालकों के समूह ने पिछले दिनों गोगुंदा उपखंड के मजावद में लड़कियों के क्रिकेट मैच का आयोजन किया।
इनका कहना ….
हमारे समाज में लैंगिक समानता की बातें तो होती है, लेकिन यह लड़कियों से शुरू होकर उन्हीं पर खत्म हो जाती है। जबकि इसके लिए समाज के पुरुषों के व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता है। उनके मन में मर्दानगी के प्रति जो भ्रांतियां है, उन्हें बदलने की जरूरत है। इसी के लिए यूनिसेफ के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उदयपुर जिले के गोगुंदा उपखंड में सहयोगी परियोजना संचालित की जा रही है। इसके सकारात्मक परिणामों के बाद अब देश की अन्य संस्थाएं भी ऐसे काम हाथ में लेने के लिए रुचि दिखा रही हैं। उम्मीद है कि अन्य जिलों में भी यह परियोजना शुरू की जाएगी। – डॉ. कैलाश बृजवासी, संचालक, जतन संस्थान, उदयपुर