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video : मेवाड़ की आबोहवा पैंथरों के लिए मुफीद, वन्यजीव गणना में पिछले सालों के मुकाबले बढ़े पैंथर

हमारे कुंभलगढ़, सीतामाता अभयारण्य, बस्सी और उदयपुर के वन मंडल उत्तर के जंगल व अभयारण्यों में पैंथर की तादाद बढ़ी है

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मुकेश हिंगड़/ उदयपुर. मेवाड़ में पैंथर संरक्षण को लेकर भले ही अभी कोई अच्छा प्रोजेक्ट सरकार नहीं ला सकी सिर्फ बातें जरूर की गई और उसी का नतीजा है कि पैंथर के संरक्षण को लेकर मेवाड़ में संरक्षित क्षेत्रों में पैंथर की संख्या कम हुई है या बढ़ी भी नहीं। एक अच्छी खबर यह भी है कि हमारे कुंभलगढ़, सीतामाता अभयारण्य, बस्सी और उदयपुर के वन मंडल उत्तर के जंगल व अभयारण्यों में पैंथर की तादाद बढ़ी है। पिछले सालों की वन्यजीव गणना से इस वर्ष की गणना में भी इनकी तादाद बढ़ी है। जंगल के मैनेजर माने जाने वाले पैंथर्स की गणना के आंकड़ों ने जहां कई जगह संख्या कम हुई तो कई अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, कुछ ऐसे क्षेत्र भी है जहां पर संख्या नहीं के बराबर बढ़ी। --

ऐसे होती है पैंथरों की गणना

- वर्ष में एक बार मई में बुद्ध पूर्णिमा पर वन्यजीव गणना होती है। इसमें वन क्षेत्रों में स्थित जलस्रोतों पर वनकर्मी तैनात किए जाते हैं। वे उस एक दिन (24 घंटे) में वहां आने वाले पैंथरों व अन्य वन्यजीवों को गिनते हैं।

- वैसे आंकड़ों की गणित ऐसे फिसल भी सकती

- एक ही पैंथर दो बार भी पानी पीने आ सकता है। ऐसे में उसकी दो बार गणना हो सकती है

- एक ही पैंथर दो अलग-अलग जगहों पर भी पानी पी सकता है। ऐसे में भी दोहराव हो सकता है।

- कई बार अच्छी बारिश होने से जंगलों व अभयारण्यों में कुछ जगहों पर भी थोड़ा बहुत पानी जमा हो जाता है, जहां गणना के दौरान वनकर्मी तैनात नहीं होते। ऐसे में वहां पानी पीने आने वाले पैंथर की गणना नहीं हो पाती है।

- कोई पैंथर गणना के दिन किसी अन्य स्थान या इंसान के रहने वाले क्षेत्र में पानी पी लेता है तो वह उन जलस्रोतों पर नहीं जाता है।

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कुंभलगढ़ इसलिए आबाद पैंथर से

कुम्भलगढ़ क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से अत्यधिक समृद्घ है। वहां पर पैन्थर, भालू, जंगली सूअर, चीतल, सांभर, चिंकारा, भेडिय़े, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, सियार एवं चौसिंगा आदि के साथ ही सरीसृप और विविध प्रकार के पक्षी काफी संख्या में है। वहां पर पैंथरों की संख्या वैसे भी 80 से ज्यादा ही गणना में आती रही है।

- आबादी में बहुत आए पैंथर वैसे इस साल के मुकाबले बीते वर्ष पैंथरों का आबादी क्षेत्र में आने की घटनाएं ज्यादा हुई थी। सर्वाधिक मामले उदयपुर व राजसमंद जिले में हुए और वे भी जंगल के पास की आबादी क्षेत्रों में हुए। वैसे उदयपुर शहर की भी बात करें तो यहां भी शहरी क्षेत्र में पैंथर आबादी के बीच आने की घटनाएं हुई। शहर के राजीव गांधी उद्यान, सुविवि कैम्पस, चित्रकूटनगर, दूधतलाई के पास, ढीकली क्षेत्र में पैंथर आ गया था जिससे लोग परेशान हो गए थे।

- वन क्षेत्र .... 2013 .... 2014 .... 2015 .... 2016 .... 2017 उदयपुर पा्रदेशिक .... 29 .... 31 .... 21 .... 23 .... 13 उदयपुर प्रादे. उत्तर .... 11 .... 14 .... 13 .... 17 .... 19 जयसमंद .... 11 .... 10 .... 11 .... 12 .... 11 फुलवारी की नाल .... 21.... 19.... 18.... 21.... 20 कुंभलगढ़ .... 88 .... 85.... 88.... 95.... 101 रावली टॉडगढ़ .... 25.... 28.... 33.... 35 35 सीतामाता अभयारण्य .... 34.... 34.... 38.... 40.... 43 बस्सी .... 09 .... 09.... 08 .... 11 .... 13 भैसरोडगढ़़ .... 07 .... 07.... 08.... 08.... 01