
उदयपुर . सुप्रीम कोर्ट के फिल्म पद्मावत पर राज्य सरकार की ओर से लगाई गई रोक हटाने के आदेश पर मेवाड़ पूर्व राजघराने के विश्वराज सिंह मेवाड़ ने गुरुवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि निर्माता फिल्म को काल्पनिक पद्मावत काव्य पर आधारित बता रहे हैं लेकिन क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस बात की अनुमति देती है कि एककाल्पनिक कहानी में उन वास्तविक चरित्रों के नाम, उनके जीवन, स्थानों और घटनाओं को सिर्फ व्यावसायिक लाभ उठाने के लिए उपयोग किया जाए। मेवाड़ ने बयान में कहा कि फिल्म को लगातार एक ऐतिहासिक फिल्म और महारानी पद्मिनी के नाम से प्रचारित किया गया है। साथ ही महारावल रतन सिंह, अलाउद्दीन खिलजी के नामों का भी इस्तेमाल किया गया है, ये सभी वे व्यक्ति हैं जो हमारे इतिहास में मौजूद हैं। पिछले कुछ हफ्तों में फिल्म निर्माताओं ने कहा कि यह फिल्म सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी के उपन्यास पर आधारित है लेकिन इससे पूर्व इसे ऐतिहासिक फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया गया था। ये फिल्म ना तो इतिहास के साथ और ना ही काव्य के साथ पूरा न्याय कर पा रही है। यूके में इस फिल्म को ऐतिहासिक के रूप में प्रमाणित किया गया है जबकि भारत में काल्पनिक। यदि यह एक तथ्य है तो ये विसंगति क्यों है।
फिर बनाई कमेटी का क्या मतलब
मेवाड़ ने बयान में कहा कि इस फिल्म के लिए बनाई गई कमेटी ने भी फिल्म देखकर इसे खारिज कर दिया था। इसके बावजूद सीबीएफसी इसे कुछ कट्स के साथ रिलीज को तैयार हो गया तो ऐसे में कमेटी का क्या महत्व रहा? इस फिल्म से बड़े स्तर पर लोगों की भावनाएं आहत हो रही है, यह बात कमेटी ने साफ कर दी थी। मेवाड़ ने सीबीएफसी की कार्यप्रणाली पर भी काफी सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा है कि केवल व्यावसायिक फायदे के लिए ऐतिहासिक नायकों व चरित्रों का गलत चित्रण करना देश के सम्मान और इतिहास को ठेस पहुंचाना है।
अफसोस है मुझे : कृष्णावत
मेवाड क्षत्रिय महासभा के वरिष्ठ सदस्य मनोहरसिंह कृष्णावत ने कहा कि किसी युग के अंदर नारी अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए अपने शरीर को ज्वाला के अंदर प्रज्वलित कर अपने सम्मान को बचाती थी और समाज के अंदर उस बात को देखकर आने वाली पीढ़ी एक सबक लेती थी। आज मुझे कहते हुए बड़ा अफसोस है कि समाज में जिनका मूल्य होता था, आज वे गिराए जा रहे हैं।
फिल्म का मेवाड़ में विरोध करेंगे : दुलावत
विश्व हिंदू परिषद के डॉ परमवीर सिंह दुलावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हम सम्मान करते हैं लेकिन किसी एक व्यक्ति की भावना के लिए 125 करोड़ देशवासियों की भावना का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर यह फिल्म मेवाड़ में लगाई जाती है तो विहिप इसका विरोध करेगा। अगर कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो ये सरकार की जिम्मेदारी रहेगी।
Published on:
19 Jan 2018 07:05 pm
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