
राजेन्द्र सिंह देणोक
Rajasthan News : ग्रामीण और दूर-दराज क्षेत्रों में परिवहन के साधन आज भी मुंगेरीलाल के हसीन सपनों की तरह है। हजारों गांवों में न अस्पताल जाने के लिए वाहन हैं और न स्कूल जाने के लिए। ऐसे में केंद्र सरकार की एक घोषणा ने बड़ी उम्मीद जगाई है। सहकारी समितियों के माध्यम से अब 'को-ऑपरेटिव टैक्सी सर्विस' यानी कैब सेवा शुरू करने की तैयारी है। यह योजना फलीभूत हुई तो सुदूर गांव-ढाणियों के लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में आसानी होगी। प्रदेश में 8 हजार ग्राम सेवा सहकारी समितियां हैं, जबकि कुल 37 हजार 642 सहकारी समितियां हैं, जिसमें 1 करोड़ 26 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। वर्तमान में समितियां फसली ऋण देने जैसे काम करती है।
कई जिले सार्वजनिक परिवहन के साधनों को तरस रहे हैं। ऐसे गांवों में रोडवेज बसें तक नहीं पहुंचती। परिवहन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रति एक हजार जनसंख्या पर प्रतापगढ़ में 143, करौली में 131, जालोर में 160, बाड़मेर में 126, बांसवाड़ा में 268, चूरू में 128, उदयपुर में 328 और राजसमंद में 215 वाहन है। दूसरी तरफ, जयपुर में सर्वाधिक 516, कोटा में 503 वाहन प्रति एक हजार जनसंख्या पर है।
प्रारंभिक तौर पर कैब सर्विस दूरदराज के इलाकों के लिए होगी। बाद में इसका विस्तार किया जा सकता है। यह मॉडल ओला, उबर और रेपिडो की मनमानी रोकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बाइक, कार, रिक्शा जैसी सेवाएं अक्सर उपलब्ध नहीं होतीं। मिलती भी है तो किराया अधिक होने से लोग उपयोग नहीं कर पाते। सहकारी सर्विस से लोग अपनी बाइक या कार को पंजीयन कर रोजगार प्राप्त कर सकेंगे। इससे उनकी आय बढ़ेगी और परिवहन की समस्या भी हल होगी।
ओला : 200 रुपए की राइड ड्राइवर : 140 रुपए कंपनी: 60 रुपए।
उबर : 200 रुपए की राइड ड्राइवर : 130 रुपए कंपनी: 70 रुपए।
रैपिडो : 100 रुपए की राइड ड्राइवर : 90-95 रुपए।
सिंगापुर, थाइलैंड जैसे कई देशों में यह व्यवस्था है। हमारे यहां भी इस तरह की प्रणाली शुरू करना क्रांतिकारी कदम होगा। इससे राजस्थान के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे पर्यटकों या अन्य लोगों के साथ ठगी या मनमानी भी नहीं की जा सकेगी।
राजेन्द्र भट्ट, पूर्व संभागीय आयुक्त
Published on:
29 Mar 2025 08:49 am
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