
उदयपुर/पत्रिका. जिले के जंगलों में मशरूम की प्रजातियों की विविधता पाई जाती है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के विशेषज्ञों ने यहां के जंगलों में खोज की है। जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य में मशरूम की दुर्लभ प्रजाति मिली है। केवड़ा की नाल जंगल से जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य तक खोजबीन की गई। मशरूम की विविधता का निरीक्षण किया गया। विभिन्न प्रकार की मशरूम प्रजातियों का संग्रहण किया गया। पाया गया कि दक्षिण राजस्थान के जंगलों में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों में विविधता देखी गई।
इस टीम ने की खोज: एमपीयूएटी में मशरूम परियोजना के पूर्व अधिकारी और आरसीए के प्रो. श्याम सुन्दर शर्मा के सहयोग से वर्तमान परियोजना अधिकारी सहआचार्य डॉ. नारायण लाल मीणा, अविनाश कुमार नागदा, किशन सिंह राजपूत ने जिले के जंगली क्षेत्रों में मशरूम प्रजातियों के लिए छानबीन की।
राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम: केंद्र सरकार के मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन हिमाचल प्रदेश के निदेशक प्रो. वीपी शर्मा ने देश के विभिन्न मशरूम अनुसंधान केन्द्रों की वार्षिक समूह बैठक ली थी। श्रीनगर जम्मू-कश्मीर स्थित शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी में चर्चा की गई थी।
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उद्देश्य : उपयोग बढ़े: देश में मशरूम उत्पादन और प्रति व्यक्ति मशरूम उपभोग में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय जंगलों में खाद्य एवं औषधि मशरूम की विविधता का पता लगाने और संग्रहण कर क्षेत्रीय मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के निर्देश दिए थे।
बोलेटस ईदुलिस प्रजाति का मशरूम
जयसमंद अभयारण्य में मशरूम की दुर्लभ प्रजाति मिली, जो आकार में बहुत बड़ी थी। इसका वजन लगभग 4-5 किलो था। जिसका वैज्ञानिक नाम बोलेटस ईदुलिस है। इस सर्वेक्षण में एमपीयूएटी के अनुसंधान निदेशक प्रो. अरविन्द वर्मा, क्षेत्रीय वनधिकारी गौतमलाल मीणा ने भी सहयोग दिया।
Published on:
06 Jul 2023 12:15 pm
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