
भगवती तेली/ उदयपुर . प्रजनन एवं मातृ स्वास्थ्य के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। जो उसके शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी हैं। पहली मर्तबा जननी के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर देश भर में कार्ययोजना तैयार की गई है। इसकी शुरुआत किसान परिवारों से हो रही हैं। संपूर्ण मातृ स्वास्थ्य को लेकर इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च (आईसीएआर) की ओर से रिप्रोडेक्टिव हैल्थ केयर इन एग्रेरियन फैमिलीज (आरएचएएफ) प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इसमें महिला के पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक खुशहाली के साथ ही विशेष रूप से मनोसामाजिक खुशहाली के लिए काम किया जाएगा।
दरअसल, समाज में लैंगिक असमानता व बेटे की चाह के चलते महिलाओं पर मनोवैज्ञानिक, सामाजिक दबाव व तनाव रहता है। जिसके चलते कालांतर में माता व शिशु के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे में प्रोजेक्ट के तहत माताओं की मानसिक खुशहाली के लिए काम किया जाएगा। यह कार्य देश के ग्यारह राज्यों में स्थित आईसीएआर के मानव विकास एवं पारिवारिक संबंध विभाग में होगा। राजस्थान में महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय का होम साइंस कॉलेज इसका अकेला सेन्टर है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मानव विकास एवं पारिवारिक संबंध विशेषज्ञ एवं नेशनल टेक्नीकल कॉर्डिनेटर डॉ. गायत्री तिवारी के निर्देशन में यह काम होगा।
प्रत्येक सेंटर पर 300 -350 पर होगा शोध
परियोजना के तहत सभी सेन्टर्स मिलाकर करीब साढ़े तीन हजार महिलाओं पर शोध करेंगे। इसमें प्रत्येक सेन्टर पर 300 -350 महिलाओं पर शोध होगा। इसके बाद शोध आधारित आंकड़ों की रिपोर्ट आईसीएआर को भेजी जाएगी। आईसीएआर उसे पॉलिसी निर्माण में उपयोग करेगा। जिसे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर कार्य करने वाले सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन उपयोग कर सकेंगे। प्रोजेक्ट तीन साल तक चलेगा।
यह काम होगा प्रोजेक्ट में
ग्रामीण व कृषक परिवारों में महिलाओं का मनोवैज्ञानिक विकास करना।
ग्रामीण परिवारों के बीच विद्यमान मातृ एवं बाल देखभाल प्रथाओं का अध्ययन करना।
महिलाओं के बीच स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का मूल्यांकन करना।
शादीशुदा महिलाओं का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करना व इस पर पैकेज तैयार करना।
मातृ एवं बाल देखभाल के संबंध में ज्ञान व अभ्यास के हस्तक्षेपी प्रभाव का अध्ययन करना।
इसलिए पड़ी आवश्यकता
- किशोर गर्भावस्था को रोकने व किशोर स्वास्थ्य में सुधार के लिए।
- व्यापक स्तर पर प्रजनन योजना को बढ़ावा देने के लिए।
- पोषक तत्वों के अभावग्रस्त बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए।
- मस्तिष्क के सीमित विकास वाले बच्चों को बाद में जोखिम का सामना करना पड़ता है। उसे रोकने के लिए।
- जटिल सामाजिक और सांस्कृ तिक मान्यताओं से महिलाओं को उबारने के लिए।
मानसिक खुशहाली पर होगा काम
सरकार प्रजनन स्वास्थ्य के लिए कई वर्षों से काम कर रही है। विभिन्न योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। लेकिन वह केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर ही केन्द्रित होकर रह गई है। मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इस प्रोजेक्ट के तहत माताओं की मानसिक खुशहाली के लिए काम किया जाएगा ।
- डॉ. गायत्री तिवारी, नेशनल टेक्नीकल कॉर्डिनेटर, आरएचएएफ
Updated on:
12 Oct 2017 04:33 pm
Published on:
12 Oct 2017 03:44 pm
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