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राजस्थान का पहला मेडिकल कॉलेज, जहां अब हर मरीज के लिए इमरजेंसी में तैयार मिलेगी टीम; जानें क्या है ट्रिपल आर सिस्टम

आरएनटी मेडिकल कॉलेज में रेपिड रेफरल रिड्रेसल सिस्टम (आरआरआरएस) की ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था के तहत अब मरीजों को उपचार के लिए अस्पताल में टीम तैयार मिलेगी।

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RNT Medical College Equipped with Online Rapid Referral Redressal System (RRRS)

उदयपुर। शहर, जिले व बाहर से इमरजेन्सी में आने वाले मरीजों को समय पर तत्काल उपचार देने व दलालों के चंगुल से बचाने के उद्देश्य से आरएनटी में रेपिड रेफरल रिड्रेसल सिस्टम (आरआरआरएस) की ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था के तहत अब मरीजों को उपचार के लिए अस्पताल में टीम तैयार मिलेगी। अस्पताल में बकायदा इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां पर रेफर करने वाले चिकित्सक रेफर मरीज की हिस्ट्री ऑनलाइन भेजेंगे। इस हिस्ट्री के आधार पर कंट्रोल रूम का स्टाफ मरीज अथवा उनके परिजन से संपर्क कर लोकेशन के आधार पर उसके अस्पताल पहुंचने के समय आदि को निकालते हुए इमरजेंसी में तैनात कॉर्डिनेटर को जानकारी देंगे।

कॉर्डिनेटर मरीज के आने के संभावित समय व हिस्ट्री की सूचना संबंधित इमरजेंसी प्रभारी को देंगे व उस मरीज के आने से पूर्व ही गेट पर अलर्ट देते हुए स्ट्रेचर व व्हील चेयर मे वार्ड बॉय की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। यह टीम मरीज के अस्पताल पहुंचने के समय के आधार पर पहले से ही इमरजेंसी में तैनात मिलेगी और उसका तत्काल उपचार शुरू करेगी।

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30 सीयूजी मोबाइल, 24 घंटे स्टाफ की तैनाती

इस व्यवस्था को सुचारू करने के लिए 30 मोबाइल की खरीद की गई, उनमें सीयूजी नम्बर दिए गए है। यह मोबाइल कंट्रोल रूम, इमजरेंसी कॉर्डिनेटर टीम व संबंधित विभागाध्यक्ष को दिए गए है।

● कंट्रोल रूम, इमरजेंसी व विभागों की टीम 24 घंटे सेवाएं देंगी। इसमें हर आठ घंटे में स्टाफ बदलेगा।

● अस्पताल में मरीज की सेवा के लिए मेन पावर के साथ ही व्हील चेयर, स्ट्रेचर, वार्ड बॉय, नर्सेज सहित सभी तरह के संसाधनों को बढ़ाया गया है।

● आरएनटी में समस्त अस्पतालों को सेंट्रल प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (सीपीएमयू) से जोड़ा गया है। इसमें एलइडी कीे साथ ही हेल्प डेस्क बनाई गई है। जिसमें मरीज किसी भी तरह की जानकारी ले सकेगा। साथ ही हर इमरजेन्सी में एलइडी लगाई गई है, जिस पर रफर होकर आने वाले रोगियों की सूचना रियल टाइम प्रदर्शित होती रहेगी, जिससे वहां कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों को आने वाले रोगियों का पूर्वानुमान रहेगा।

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ऐसे काम करेगा ट्रिपल आर सिस्टम

● शहर व बाहर से रेफर करने वाले राजकीय चिकित्सक को एक क्यू कोड स्कैन कर ऑनलाइन मरीज के नाम, पते व छोटी सी हिस्ट्री डालनी होगी।

● वाहन के जीपीएस सिस्टम से कंट्रोल रूम का स्टाफ मरीज की लोकेशन को ट्रेक कर तिमारदारों से बात करेगा। लोकेशन के साथ मरीज के अस्पताल पहुंचने के समय का पता लगाएगा। इसकी जानकारी इमरजेंसी में कॉर्डिनेटर को देगा।

● कॉर्डिनेटर मरीज की हिस्ट्री व मरीज के आने के समय के आधार पर संबंधित,यदि रोगी को सुपर स्पेशलिटी विभाग की आवश्यकता हुई तो सबंधित विभाग के चिकित्सक को सीयूजी फोन पर रोगी के आने से पूर्व ही सूचना देगा। इसके लिए बेहतर समन्वय के लिए सभी को सीयूजी फोन उपलब्ध कराए गए है।

● इस तरह प्रथम बार रोगी को आपातकालीन विभाग मे ही सुपर स्पेशलिटी चिकित्सकों की सेवाओं का लाभ मिलेगा।