
उदयपुर . किस बच्चे ने पोषाहार खाया और किसने नहीं। कितनों ने खाना खाया..., इसमें कितनी सामग्री लगी... इस तरह की कई जानकारियां इन दिनों मिड-डे-मील पोर्टल पर ऑनलाइन अपलोड करनी अनिवार्य है, लेकिन जिले के सभी स्कूलों में ऐसा नहीं पा रहा है और इसका बड़ा कारण नेटवर्क का अभाव है। मुख्यालय ने स्थानीय अधिकारियों को 100 प्रतिशत जानकारी अपडेट करने के निर्देश दिए हैं, जबकि अधिकारी व कार्मिक नेटवर्क की समस्या को अडंगा बता रहे हैं। ग्रामीण स्कूलों में कम्प्यूटर तो हैं, लेकिन इंटरनेट सुविधा नहीं होने के कारण ये परेशानी है।
जिले में इतने स्कूल
जिले के 653 माध्यमिक, 800 उच्च प्राथमिक एवं करीब तीन हजार प्राथमिक स्कूलों में पोषाहार खिलाया जाता है। जिले के झाडोल, गोगुन्दा, खेरवाड़ा, कोटड़ा सहित कई ब्लॉक ऐसे हैं, जहां इंटरनेट सुविधा सही नहीं होने के कारण जानकारी अपडेट नहीं हो पाती।
नहीं चलता पता
प्रत्येक दिन की जानकारी ऑनलाइन देनी होती है, लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण ये नहीं हो पाता है। अब तक करीब 70 प्रतिशत पोषाहार की जानकारी तो हम दे रहे हैं, लेकिन अधिकारियों का जोर है कि 100 प्रतिशत हो जाए। जब तक नेट की समस्या रहेगी तब तक दिक्कत आएगी। हालांकि हम प्रयास कर रहे है।
नरेश डांगी, डीईओ, माध्यमिक व प्रारंभिक, उदयपुर
सभी कॉलेज में प्रतिभाओं को तराशेगी ‘दिशारी’कॉलेज शिक्षा निदेशालय की योजना
उदयपुर. कॉलेज के विद्यार्थियों में बेहतर भविष्य की नींव रखने का काम ‘दिशारी’ स्कीम अब प्रदेश के सभी कॉलेजों में लागू की जाएगी। योजना के तहत विद्यार्थियों की क्षमता संवद्र्धन कर उन्हें रोजगारोन्मुख बनाया जाएगा। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार कर सफलता का मंत्र फूंका जाएगा, ताकि वे कॉलेज शिक्षण के बीच ही भविष्य का ताना-बाना बुन सके। राज्य के दस कॉलेजों में 5 सितम्बर 2017 को बतौर मॉडल इसकी शुरुआत की गई थी, वहां की सफलता को देखते हुए राजस्थान के प्रत्येक जिले के कॉलेजों में इसे लागू कर दिया है। पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों के नए आयामों को देखते हुए विद्यार्थियों को तैयारी करवाई जाएगी।
Published on:
05 Dec 2017 08:07 pm
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