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सेल्फ डिेफेंस को लेकर स्कूली बालिकाओं के बीच किया गया सर्वे, निष्कर्ष में ये चौंकाने वाली बात आई सामने

ग्रामीण क्षेत्र की बेटियां शहरी के मुकाबले अधिक जागरूक हैं, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के संघटक कॉलेज ऑफ कम्युनिटी एंड एप्लाइड साइंस ने सेल्फ डिफेंस फॉर स्कूल गोइंग गर्ल्स विषय पर शोध किया।

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Self defense training given महिलाओं व बालिकाओं को दिया आत्मरक्षा प्रशिक्षण

Self defense training given महिलाओं व बालिकाओं को दिया आत्मरक्षा प्रशिक्षण

आत्मरक्षा के प्रति शहरों में भले ही कई तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हों और समय-समय पर कार्यशालाएं भी होती हों लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मरक्षा को लेकर ज्यादा जागरूकता है। ग्रामीण क्षेत्र की बेटियां शहरी के मुकाबले अधिक जागरूक हैं। ये निष्कर्ष कॉलेज ऑफ कम्युनिटी एंड एप्लाइड साइंसेस की शोध में सामने आया है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के संघटक कॉलेज ऑफ कम्युनिटी एंड एप्लाइड साइंस ने सेल्फ डिफेंस फॉर स्कूल गोइंग गर्ल्स विषय पर शोध किया।

असुरक्षित स्थितियों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं बालिकाएं, लेकिन प्रशिक्षण लेना लगता है महंगा

कॉलेज की प्रोफेसर व मानव विकास एवं पारिवारिक संबंध विभाग की सीनियर साइंटिस्ट डॉ.गायत्री तिवारी व शोध छात्रा प्रज्ञा प्रियदर्शी पंडा के अनुसार, इस शोध में आत्मरक्षा के प्रति जागरूकता का तीन तरह से मूल्यांकन किया गया है। इसमें आत्मरक्षा के शारीरिक, मानसिक-सामाजिक और आर्थिक पहलुओं के बारे में जागरूकता शामिल है। शारीरिक और मानसिक-सामाजिक जागरूकता का मध्यम स्तर था, जबकि आत्मरक्षा के आर्थिक पहलुओं के बारे में जागरूकता का स्तर निम्न था। इसमें सामने आया कि ग्रामीण इलाकों की लड़कियां अपनी सुरक्षा के प्रति अधिक जागरूक थीं क्योंकि वे असुरक्षित स्थितियों के प्रति अधिक संवेदनशील पाई गई। वहीं, आत्मरक्षा के प्रति जागरूकता के आर्थिक पहलू स्तर निम्न होने का कारण उत्तरदाताओं को अपनी सुरक्षा के बारे में चिंता थी, लेकिन किसी भी स्थिति में सुरक्षित रहने की रणनीतियों के बारे में जानकारी बहुत कम है और प्राप्त करना मुश्किल है। साथ ही उत्तरदाताओं को यह गलतफहमी थी कि आत्मरक्षा प्रशिक्षण की कक्षाओं में जाना महंगा है।

लड़के और लड़कियों दोनों के लिए जरूरी है आत्मरक्षा

डॉ.गायत्री तिवारी ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति माता-पिता और शिक्षक की अहम भूमिका है। बच्चों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने में माता-पिता के बाद शिक्षक इसलिए अहम है क्योंकि माता-पिता के बाद शिक्षक ही हैं, जिन पर बच्चा भरोसा कर सकता है। विशेष रूप से स्कूलों के शारीरिक प्रशिक्षकाें को बालिकाओं को आत्मरक्षा के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभानी चाहिए। सभी स्कूलों को स्कूल विकास नीतियों, पाठ्यक्रम व योजनाओं में आत्मरक्षा को शामिल करना चाहिए। इसमें लड़कियों के साथ लड़कों को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि वे भी आत्मरक्षा के गुर सीख सकें।

अध्ययन का उद्देश्य -

1. स्कूल जाने वाली लड़कियों की आत्मरक्षा के प्रति जागरूकता का आकलन करना।

2. "स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए आत्मरक्षा" पर हस्तक्षेप पैकेज विकसित करना।

3. विकसित हस्तक्षेप पैकेज की प्रभावकारिता का अध्ययन करना।

4. स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए आत्मरक्षा पर माता-पिता और शिक्षकों के लिए गाइडबुक तैयार करना।