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शिल्पग्राम उत्सव में सिद्दी धमाल और जिंदवा ने मचाई धूम, ‘झंकार’ ने श्रोताओं को किया मंत्र मुग्ध

आज थम जाएगी शिल्पग्राम उत्सव की धमचक

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उदयपुर . दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के नवें दिन शुक्रवार को मुक्ताकाशी मंच पर लोक वाद्यों से सजे ‘झंकार’ की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गुजरात के टिप्पणी एवं पश्चिम बंगाल के ढाली नृत्य के साथ गुजरात के सिद्दी कलाकारों तथा पंजाब के मुण्डों की धमाल ने आमजन का मन मोह लिया।

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सांस्कृतिक संध्या का आगाज गुजरात के टिप्पणी नृत्य से हुआ। इसमें वहां की श्रमिक महिलाओं ने सडक़ निर्माण के दौरान जमीन कूटते हुए किए जाने वाले इस नृत्य में ग्राम्य जीवन संस्कृति की अनूठी झलक प्रस्तुत की। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल का ‘ढाली नृत्य’ दर्शकों को खूब रास आया तो पंजाबी मुण्डों ने ‘जिन्दवा’ में ढोल की थाप के साथ पंजाब की लखूटी संस्कृति से साक्षात् करवाया।

गुजरात से आए अफ्रीकी मूल के सिद्दी कलाकारों ने गीत ‘शोबिला ए शोबिला’ गीत व ‘मुगरवान ढोल’ की थाप पर अपनी अजब थिरकन, विभिन्न मुद्राओं व भाव भंगिमाओं के बीच हवा में उछाले नारियल सिर पर फोडक़र खूब वाहवाही लूटी।

समापन पूर्व शिल्प उत्पादों के खरीदार उमड़े
हाट बाजार में समापन से पहले मेलार्थी कलात्मक शिल्प उत्पादों को घर ले जाने की चाह में खूब उमड़े। शहर तथा आसपास के लोगों ने वस्त्र संसार में रंग-बिरंगी साडिय़ां, कुर्ता-पायजामा, जैकेट्स, ड्राईंग रूम की सजावट के कलात्मक कुशन कवर, बेड स्प्रेड, गुदड़ी, दरियां आदि खरीदे। इसी प्रकार जूट संसार में जूट की बनी जूतियां, बैग्स, गृह सज्जा की लटकने, लेदर बेग्स, कोल्हापुरी चप्पलें भी पसंद कीं। इसके अलावा कलात्मक पॉट्स, मोलेला की कला कृतियां, काष्ठ निर्मित उत्पाद भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने रहे।

अनेक चीजें लुभा रही आमजन को
लजीज खाने-पीने के मुरीद लखनऊ के पाक शिल्पी वाहिद एवं विभिन्न प्रकार के व्यंजनों की स्टॉल के अलावा राजस्थानी खाने में मक्की की रोटी, ढोकले, गर्म राब, दाल-बाटी, हरियाणवी देशी घी का जलेबा, पंजाबी भोजन में मक्के की रोटी संग सरसों का साग व अमृतसरी नान, १६ मसालों में पेरी-पेरी चिली गारलिक चकरी आलू का स्वाद चखना नहीं भूलते। गौरतलब है कि दस दिवसीय उत्सव का समापन शनिवार को होगा।