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सीएसआर के नाम पर चम्मच भर शहद

फली फूली कंपनियों ने उदयपुर शहर को विकास के नाम पर

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सीएसआर के नाम पर चम्मच भर शहद

सीएसआर के नाम पर चम्मच भर शहद

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर. उदयपुर की धरती, हवा और पानी का उपयोग कर फली फूली कंपनियों ने उदयपुर शहर को विकास के नाम पर चम्मच भर शहद सीएसआर की राशि से चटा दिया, तो शहर की आंखें ये तय नहीं कर पाई कि जितना कंपनियों ने बताया है क्या वाकई वो खर्च किया गया है या नहीं। हालात ये है कि कंपनियां सीएसआर खर्च बता देती है, लेकिन उनके खर्च की मोनिटरिंग कैसे होती है, कौन करता है, वह कोई नहीं जानता। इतना ही नहीं कई कंपनियां या निजी संस्थान तो एेसे हैं, जो इस सीएसआर के दायरे में आकर भी शहर पर धेला तक खर्च करने को तैयार नहीं

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ये है नियम:भारतीय कम्पनी अधिनियमए 2013 की धारा-135 के अनुसार ऐसी कम्पनियां, जिनका वार्षिक आधार पर नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए या अधिक अथवा टर्नओवर 1000 करोड़ रुपए या अधिक अथवा शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपए या अधिक हो, सीएसआर के दायरे में आती है। ऐसी सभी कम्पनियों का उनके विगत 3 वर्षों में अर्जित शुद्ध लाभ के औसत का 2 प्रतिशत विभिन्न कॉरपोरेट सामाजिक दायित्वों में कम्पनी की सीएसआर कमेटी की ओर से निर्धारित नीति अनुसार शेडयूल. सात में सम्मिलित गतिविधियों पर ही व्यय करने का प्रावधान है।

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हमारे हाथ में कुछ नहीं:सीएसआर व्यय की सूचना सीएसआर कम्पनियों की ओर से कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित की जाती हैं तथा भारत सरकार से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार सीएसआर फंड के उपयोग पर राज्य सरकार को कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।

कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत कंपनियां उनकी सीएसआर कमेटी में लिए गए निर्णयानुसार सीएसआर के तहत किए गए व्यय का विवरण रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित करती हैं।

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ये है विशेष:जिलों से प्राप्त सूचना के अनुसार राज्य के विभिन्न उपक्रमों की ओर से वर्ष 2013-14 में कुल 26,554.15 लाख रुपए, वर्ष 2014-15 में कुल 31,752.46 लाख रुपए एवं वर्ष 2015-16 में कुल 15,810.24 लाख रुपए सीएसआर गतिविधियों के अन्तर्गत व्यय किए गए हैं।-

----उदयपुर शहर व अन्य समीपस्थ स्थानों पर किया खर्च - राशि लाखों मेंकंपनी का नाम- २०१३-१४/१४-१५/१५-१६/

हिन्दुस्तान जिंक---/--/६३२५

रिलायन्स केमोटेक्स प्रालि-००/१३.३८/१.४५

पीआई इंड-८०.००/१०२.००/५००.००

वोलकेम इंडिया लि.- १०.५०/१८.००/१५.००

आरएसडब्ल्यूएम लि-००/१२५.११/१३०.०४

पेसिफिक इंड लि-००/१३.७२/८.६७

पेस्टिसाइड इंडिया लि.---/१०२/५००/------

कंपनी-२०१६-१७/१७-१८/१८-१९/१९-२०

हिन्दुस्तान जिंक- ४९४०/ (सम्पूर्ण राशि १७-१८ में खर्च)

रिलायन्स केमोटेक्स प्रा.लि-१३.४६ लाख का प्रस्ताव पारित/

वोलकेम इंडिया लि-५.४१

पेसिफिक इंडस्ट्रीज लि.-१०.३५

आरएसडब्ल्यूएम लि.२४.०५

पेस्टिसाइड इंडिया लि.-००/

जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट- --//--/६९.११/

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खर्च की किसी तरह की मोनिटरिंग या जांच यहां से नहीं होती, ये सीएसआर की राशि जो खर्च होती है वह अपने स्तर पर खर्च करते हैं। हमने चित्तौडग़ढ़ में सीएसआर की कुछ राशि सरकारी कार्यों के लिए खर्च करवाई थी। वहां उड़ान प्रोजेक्ट में हमने स्कूलों में काम करवाया था। २० दिसम्बर को हम कंपनियों की बैठक लेकर विभिन्न औद्योगिक कार्यों, स्वास्थ्य व शिक्षा पर खर्च का प्लान करवाएंगे।अरुणा शर्मा, महाप्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र

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एक्सपर्ट व्यू

हिन्दुस्तान जिंक पहले दो करोड़ रुपए के पौधे लाया था। एेसे पौधे लाए थे जो यहां की जलवायु के अनुकूल नहीं थे, वह सब बेकार हो गए। यूआईटी ने कुछ राशि फतहसागर के समीप खर्च करवाई थी, लेकिन वह भी किसी काम नहीं आया। सीएसआर का पैसा जो कोई कंपनी खर्च करे, वह किस मद में खर्च हो इसके लिए जनता की सलाहकार समिति बने, और समिति तय करें कि राशि यहां पर खर्च की जाए। इसके आधार पर काम हो।

महेश शर्मा,

सीएसआर के नाम पर देश में केवल घपला ही होता आ रहा है। इसकी प्रोपर ऑडिट नहीं हो रही है। इसमें खर्च या काम क्या हुआ, काम का आउटपुट क्या निकला इस पर पूरा मंथन जरूरी है। सीएसआर के तहत जो काम हुए हैं, इसके लिए पब्लिक कमेटी बने, जज व अन्य सम्मानित नागरिकों को इसमें शामिल किया जाए। इसकी सोशयल ऑडिटिंग होनी चाहिए। यह तय हो कि किस क्षेत्र में काम की जरूरत है। वहां पर एक्सपर्ट राय ली जाए और इसके बाद विकास का काम हो और काम होने के बाद इसकी सोसियल ऑडिट हो। अच्छा काम करने वाली कंपनी को सरकार पुरस्कृत भी करें।डॉ. भानु कपिल, विभागाध्यक्ष , इतिहास, बीएन विवि


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