
बेटी दुर्गा और उसका परिवार खत्म होने की खबर पाकर तिरोल के रोई डांग की भागल निवासी परिवार गोल नेड़ी पहुंचा था। बेटी दुर्गा, उसके पति प्रकाश और नाती के शव देखकर मां बेसुध हो गई। रिश्तेदारों ने दोनों को बड़ी मुश्किल से संभाला। होश आने पर वह बोली कि भोपे के चक्कर में बेटी और उसका परिवार खत्म हुआ। घटना पर फूट-फूटकर रोने के बाद दुर्गा के पिता की आंखें भी पथरा गई।
दो साल बाद फिर वही मंजर
जिले के खेरवाड़ा क्षेत्र के रोबिया गांव में दो साल पहले भी एक युवक कुल्हाड़ी से पत्नी और चार बच्चों को मारकर खुद ने फंदे पर लटक गया था। घटना 26 दिसम्बर 2020 की है। रोबिया निवासी रणजीत पुत्र जगदीश मीणा ने पत्नी कोकिल, बेटी जसोदा, बेटे लोकेश, गंजी और दूधमुंही बच्ची गुड्डी को मौत के घाट उतार दिया था। उसने बेरहमी से कुल्हाड़ी से सभी को मारा और फिर फंदा लगाया था। सामने आया था कि रणजीत भी गुजरात में काम करता था, लेकिन कोरोना काल के चलते लौटने के बाद वह बेरोजगार था, वहीं मानसिक रूप से बीमार रहता था। अवसाद में उसने परिवार को खत्म कर दिया था।
पीएम के बाद शव परिजनों को सौंपे
एफएसएल टीम और डॉग स्क्वायड को भी बुलाया गया। प्रारंभिक जांच के बाद शव मुर्दाघर पहुंचाए गए, जहां पोस्टमार्टम के बाद शाम को शव परिजनों को सौंपे गए।
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अशिक्षा के चलते खुद पर बुरा साया होना, पितृ दोष होना मान लेते हैं। यह मानसिक रोग है, जिसे डिसोसिएटिव डिस्ऑर्डर कहते हैं। इसका प्रभाव इतना हो जाता है कि व्यक्ति अनिष्ठ होने के डर में परिवार का बुरा कर बैठता है। चिकित्सक की सलाह, काउंसलिंग से उपचार संभव है।
डॉ. शिखा शर्मा, साइक्लोजिस्ट
Published on:
22 Nov 2022 12:07 pm
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