
केन्द्र और राज्य सरकारें हर वर्ष शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हाल जस के तस नजर आते हैं। सरकारी स्तर पर आधे-अधूरे प्रयासों का ही नतीजा है कि निजी विद्यालयों में जाने वाले विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों का रुख नहीं कर पा रहे हैं। सरकार ने नए बजट में नए विद्यालय खोलने और क्रमोन्नत करने पर करोड़ों रुपए का पिटारा खोल दिया, लेकिन अब भी सरकारी विद्यालय में पढऩे वाले छात्रों को स्कूल पहुंचते ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के कार्य करने पड़ रहे हैं। स्कूलों में विद्यार्थियों को झाडू लगानी पड़ रही है।
पेयजल के लिए भी छात्र-छात्राओं को भटकते देखा जा सकता है।कस्बे के राजकीय प्राथमिक विद्यालय रेगर बस्ती में गुरुवार को शिक्षिका की मौजूदगी में छात्रों को झाडू थमाकर बरामदे की सफाई कराई जा रही थी। अध्यापिका ने कैमरे की नजर पडऩे पर कहा कि 'बाईजी' नहीं ऐसे में बच्चे सफाई कर रहे हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय वार्ड 15 में नन्ही छात्रा छोटे बर्तन में दूर हैण्डपंप से पानी लाती दिखी। वल्लभनगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की व्यवस्था नहीं है तो उच्च प्राथमिक में 115 विद्यालयों पर मात्र 23 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 16 पद रिक्त हैं। आकोला क्षेत्र के खेड़ी नोडल केन्द्र के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के अधिनस्थ करीब 18 विद्यालयों के हैं, जिनमें किसी में भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं हैं। विद्यालय की सफाई से लेकर पानी भरने तक कार्य विद्यार्थियों के जिम्मे हैं। वल्लभनगर क्षेत्र में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय 115 व प्राथमिक विद्यालय 152 हैं।
नामाकंन के आधार पर भीण्डर ब्लॉक में कुल 23 पद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के स्वीकृत हैं। इनमें से सात पदों पर कर्मचारी नियुक्त हैं। बाकी 16 पद लंबे समय से रिक्त हैं। प्राथमिक विद्यालयों के हालात और भी बदतर हैं। यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं होने पर शिक्षक बच्चों से कार्य कराते हैं। हालांकि कुछ विद्यालयों में शिक्षक भी हाथ बंटाते देखे जा सकते हैं। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं है।
Published on:
18 Mar 2017 01:35 pm
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