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मंशा महादेव व्रत का समापन आज, घर-घर बंटा चूरमे का प्रसाद….

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bhagwan ki kripa

प्रमोद सोनी/उदयपुर. मंशा महादेव (मनसावाचा) व्रत का समापन रविवार को होगा। यह व्रत श्रावण सुदी चौथ से से कार्तिक सुदी चौथ तक सोलह सोमवार तक किया जाता है। बाद इसका विधि विधान से उद्यापन होता है। यह व्रत चार साल तक किया जाता है। सभी वर्ग के लोग सोलह सोमवार का यह व्रत अपनी मनोकामना के लिए करते हैं। इस दौरान महादेव की पूजा- अर्चना की जाती है। व्रत करने वाले सुपारी व कच्चे सूत से महादेव बनाकर पूजा-अर्चना करते है। उद्यापन के दौरान सवा सेर आटा, सवा सेर गुड़, सवा सेर घी का चूरमा बनाकर महादेव को भोग लगाया जाता है। इस चूरमे के प्रसाद के चार हिस्से किए जाते है जिसमें एक हिस्सा महादेव, दूसरा नाथ बाबा को, तीसरा खेलते बच्चे को एवं चौथा प्रसाद के तौर पर स्वयं व्रत करने वाला ग्रहण करता है।

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मंशापूर्ण व्रत की पुर्णाहुती के दिन घर-घर बंटा चूरमे का प्रसाद

उमेश मेनारिया/मेनार. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी पर रविवार को शिवालयों में चार महीने से चल रहे मंशापूर्ण व्रत की भक्ति-भाव और विधि-विधान के साथ पूर्णाहुति हुई। शिवजी को आक, धतूरा और बिल्व पत्रों से शृंगार किया गया। शिवालयों में विधि-विधान के साथ पूजन करने का दौर देर तक चलता रहा। व्रतार्थियों ने भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनकर गुड़, घी और आटे के चूरमे का भोग धराया। महिलाएं तड़के से ही व्रत के उद्यापन की तैयारी में जुट गई। सुबह से ही शिवालयों में भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। धन्ड तालाब स्थित मंशापूर्ण महादेव, एवम ब्रह्म सागर स्थित नीलकण्ठ महादेव सहित शिवालयों में दिनभर भक्तों की भीड़ रही। धन्ड तालाब एवम ब्रह्म सागर स्थित महादेव मंदिर पर व्रतार्थियों ने पूजा-अर्चना कर व्रत का उद्यापन किया। चुरमे का भोग लगाया । भाेग का एक भाग गाय, दूसरा ब्राह्मण, तीसरा प्रसाद रूप में बांटा और चौथा भाग खुद के लिए निकाला गया। कथा श्रवण कर सूत के धागे में बांधी पूजन सामग्री खोलकर प्रसाद वितरित किया गया। घर-घर चूरमे का प्रसाद बांटा गया।