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शिक्षक के संकल्प से बदली स्कूल की तस्वीर, नवाचार और जनसहयोग से जर्जर विद्यालय बना मॉडल

सलूम्बर जिले के कालीभीत का राउमावि, अब स्कूल का पीएम श्री योजना में चयन

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ओम प्रकाश कलाल/कालीभीत (सलूम्बर). Òजहां चाह, वहां राहÓ इस कहावत को साकार किया है सलूम्बर जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कालीभीत के कार्यवाहक प्रधानाचार्य सुनील कुमार ने। कभी मूलभूत सुविधाओं से वंचित यह विद्यालय आज Òपीएम श्री स्कूलÓ के रूप में क्षेत्र में एक मॉडल बनकर उभरा है। चार वर्ष पूर्व तक यह विद्यालय अनेक समस्याओं जिसमें 650 विद्यार्थियों के बैठने के लिए कक्षा-कक्षों की कमी, जर्जर भवन, बालक-बालिकाओं के लिए शौचालयों का अभाव, पेयजल संकट, पंखों व फर्नीचर की अनुपलब्धता और शिक्षकों की कमी जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा था। जो जनजातीय बहुल क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए यही एकमात्र शैक्षणिक विकल्प था। लेकिन शिक्षक के सकारात्मक प्रयास रंग लाए और अब विद्यालय समस्त आधुनिक सुविधाओं व शैक्षिक व सहशैक्षिक साधनों से लैस है।

2021 में आई बदलाव की बयार, श्रमदान के साथ रंग-रोगन

वर्ष 2021 में प्रधानाचार्य हीराशंकर जोशी के निधन के बाद व्याख्याता सुनील कुमार को कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया। उन्होंने ठान लिया कि इस विद्यालय को न सिर्फ बचाना है, बल्कि संवारना भी है। अंग्रेजी और इतिहास पढ़ाते हुए वे स्वयं 6-7 कालांश लेते, पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी का दायित्व भी निभाते और साथ ही विद्यालय के कायाकल्प में जुटे रहते। सुनील कुमार ने शिक्षकों और छात्रों के साथ मिलकर अवकाश के दिनों में खुद श्रमदान किया। चंदा जुटाकर कक्षा-कक्षों की मरम्मत, रंगाई-पुताई, खिड़की-दरवाजों का ऑयल पेंट, बिजली व्यवस्था सुधारी।

बालिका शिक्षा को बढ़ावा, पर्यावरण संरक्षण पर बल

शिक्षक ने स्कूल में भित्ति पत्रिका की शुरुआत की, जिससे छात्रों में रचनात्मकता को मंच मिला। बालिकाओं के लिए गाइड यूनिट का गठन हुआ, जिसकी संख्या अब 32 हो चुकी है। पर्यावरण संरक्षण के तहत सहजन, मीठा नीम, तुलसी, इंसुलिन आदि औषधीय पौधों की नर्सरी स्थापित की। साथ ही हजारों पौधे और बीज वितरित किए गए। बंद पड़ी प्रयोगशाला को सुनील कुमार ने भामाशाहों की मदद से फिर से सक्रिय किया और आधुनिक बनाया। स्वयं स्काउटर प्रशिक्षण प्राप्त कर 70 स्काउट-गाइड विद्यार्थियों को तैयार किया। माउंट आबू एडवेंचर कैंप, ट्रेकिंग, नाइट कैंपिंग और राज्य स्तर पर 21 पुरस्कार मिले। यूनिफॉर्म का खर्च भी स्वयं वहन किया। एनआरआई मित्रों की मदद से खेल मैदान में 350 पौधों का रोपण हुआ। भामाशाह बाबूलाल मीणा ने एक लाख की लागत से बालिका शौचालय बनवाया। विद्यालय के कक्षा-कक्षों को प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधा युक्त और सुंदर बनाया गया है। शैक्षिक भ्रमण, नेचर ट्रिप, स्काउट-गाइड भ्रमण के आयोजन किए गए। विद्यालय की एसडीएमसी को उदयपुर जिले की सर्वश्रेष्ठ एसडीएमसी घोषित किया गया और 51,000 रुपए का नकद पुरस्कार मिला। सभी कार्यों को लेकर सुनील कुमार को जिले और ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

इनका कहना है...

शिक्षक ने कार्यवाहक संस्थाप्रधान के पद पर रहते हुए विद्यालय को शैक्षिक व सह शैक्षिक कार्यों में आगे बढ़ाया। नवाचार, भामाशाह जोड़ने, जीर्णोद्धार सहित हर क्षेत्र में की गई पहल सराहनीय है। इनके नवाचारों की पीपीटी को दो बार जिला स्तर पर प्रदर्शित किया गया है। इसी के चलते विद्यालय को पीएम श्री योजना में शामिल किया गया है।

-वीरेंद्र यादव, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक

पर्यावरण संरक्षण व विद्यालयों के सुधार की प्रेरणा यूपीएससी की तैयारी के दौरान पढ़ी बुक्स से मिली। बुक्स में पढ़े आंकड़ों के आधार पर धरातल पर जहां कार्य करने का मौका मिला वही प्रयास किया। मेरी बड़ी बहन लक्ष्मी स्वामी भी अध्यापिका है, जो पर्यावरण संरक्षण व विद्यालय सुधार में कार्य करने को प्रेरित करती रहती है।

-सुनील कुमार, शिक्षक


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