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यहां ना खेल मैदान, ना जरूरी उपकरण फिर भी सरकारी स्कूल के बच्चे खेल रहे रग्बी, 2 नेशनल तक पहुंचे

उदयपुर की 12वीं कक्षा की छात्राएं भावना व तनु जूनियर रग्बी फुटबॉल टूर्नामेंट में राष्ट्रीय स्तर पर हुईं चयनित, जीता मैडल, मैदान के अभाव में शारीरिक शिक्षिका अंजू मंदिर प्रांगण में 2 साल से दे रही प्रशिक्षण

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रग्बी का अभ्यास करते हुए बालिकाएं

यदि किसी अंतरराष्ट्रीय खेल के लिए खेल मैदान ही ना हो और केवल मंदिर परिसर की खाली जमीन पर ही अभ्यास कर के कोई राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच जाए तो आप ना केवल उस खिलाड़ी के जज्बे को सलाम करेंगे बल्कि उसे प्रेरित करने वाले व उसे इस खेल में माहिर बनाने वाले कोच और शिक्षकों के प्रयासों की भी सराहना करेंगे। दरअसल, ये अंतरराष्ट्रीय खेल है रग्बी फुटबॉल, जिसका अब उदयपुर में क्रेज नजर आ रहा है। इतना ही नहीं इसे खेलने वाले सरकारी स्कूल के बच्चे हैं, वहीं सिखाने वाले भी सरकारी स्कूल के ही शिक्षक हैं।

अब तक 25 बच्चे स्टेट लेवल पर खेल चुके

रा.उ. मा. विद्यालय मनवाखेड़ा (गिर्वा) की शारीरिक शिक्षिका अंजू चौधरी ने बताया कि वे स्कूल के बच्चों को पिछले 2 साल से इस खेल का प्रशिक्षण दे रही हैं। इससे पूर्व कोई बच्चा किसी तरह का खेल नहीं खेलता था और ना ही रग्बी फुटबॉल के बारे में जानता था। जब से रग्बी यहां खेलना शुरू किया है, बच्चों की इस खेल के प्रति रुचि बढ़ गई है। 12 वीं कक्षा की छात्रा भावना राव व तनु प्रजापत का हाल ही सब जूनियर रग्बी फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ है। उन्होंने पुणे के बालेवाडी स्टेडियम में हुई प्रतियोगिता में राजस्थान टीम का प्रतिनिधित्व किया और टीम ने कांस्य पदक जीता। चौधरी के पास कुल 28 बच्चे इस खेल का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसमें से 25 बच्चे राज्य स्तर पर व 2 राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं।

पहले कभी नहीं खेले कोई खेल, अब इंटरनेशनल लेवल के खिलाड़ी बनने का सपना

चौधरी ने बताया कि विद्यालय में कोई भी खेल मैदान नहीं होने पर भी भावना एवं अन्य छात्र- छात्राएं गांव में स्थित हनुमान मंदिर प्रांगण के छोटे से परिसर में नियमित अभ्यास करते हैं। इसके लिए वे पहले प्रांगण की सफाई करते हैं और छोटे-मोटे कंकर आदि हटाते हैं, ताकि किसी तरह की चोट ना लगे। भावना व तनु ने बताया कि उन्होंने पहले कभी रग्बी के बारे में न तो सुना था और ना ही देखा। शिक्षिका अंजू चौधरी ने ही उन्हें इस खेल के बारे में बताया और खेलना सिखाया। अब वे स्कूल के बाद शाम 4 से रात 8 बजे तक मंदिर प्रांगण में अभ्यास करते हैं। अब उनका सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनकर देश का प्रतिनिधित्व करने का है। इसके प्रति स्कूल के प्रधानाचार्य रामेश्वर लाल उपाध्याय के साथ कॉलेज स्टूडेंट गगन पटेल, अनुराज चुंडावत, गगन कुल्हारी का भी शुरू से सहयोग मिला है। वहीं, खेल के जरूरी सामान व उपकरण ना होने पर वे भामाशाहों से संपर्क करते हैं। इससे बच्चों को सब उपलब्ध होता है और वे पूरे जोश से खेलते हैं।


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