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मेवाड़ के इन वीर सपूत ने खट्टे किए दुश्मन के दांत, हंसते-हंसते हुए शहीद

‘मैंने जला ली है ये शमा दुनिया से परे अब मैं मेरी मां के चरणों में आ के बैठा हूं,बच जाऊ या मिट जाऊ परवाह नहीं इस चंदन सी माटी में लिपटकर लेटा हूं।। ’

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- मेवाड़ ने दिए देश को कई वीर

- मेवाड़ ने दिए देश को कई वीर

- मेवाड़ ने दिए देश को कई वीर
- उदयपुर संभाग के इन हीरों से जगमगा रही है देश की सीमा

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर . तिरंगे में लिपटकर जब वह घर के आंगन में पहुंचा तो पिता ने गर्व से कहा कि मेरा शेर आया है। मां ने उसी थाली में कुमकुम और रोली चावल को सजाया जिसमें जगमगाते दीप रखकर उसके जाते वक्त आरती उतारी थी। बहन ने उसके लिए तैयार उस राखी को फिर से निकालकर उस पर इत्र छिडक़ दिया, तो पत्नी ने उसी गर्मजोशी से उसकी अगुवाई कि जैसी हर बार होती थी। नन्हा बेटा सिपाही की पोशाक पहने चीर निद्रा में लेटे पिता के सामने पूरे जोश से पहुंच जय हिन्द बोलते हुए सेल्यूट करने लगा तो नन्हीं बेटी उस अमर शहीद के सिरहाने बैठ पिता के बाल सहलाने लगी थी। ये हर उन शहीद के घर पर उस समय घटा, जब वह हिमालय से ऊंचा मस्तक लेकर अपने घर लौटता है।

महाराणा प्रताप की पुण्य धरा पर जन्मे कई वीर दुश्मन से लोहा लेते-लेते कुर्बान हो गए, लेकिन किसी के सामने झुके नहीं। जिसकी माटी का कण-कण वंदनीय है। पिछले छह दशक में हमारे संभाग से कई ऐसे सूरमा हुए जो सीमा पर डटकर खुद को देश के नाम कर गए। इस स्वतंत्रता दिवस पर आईए जानते र्हं उन वीरों के बारे में...

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अब तक इतने सैनिक पहुंचे सीमा पर

उदयपुर - 1964
राजसमन्द- 3052

डूंगरपुर- 292
बांसवाड़ा- 73

प्रतापगढ़- 54

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मेवाड़ के ये सपूत हुए देश पर न्यौछावर

- 9 महार यूनिट के सिपाही सगतसिंह (कुंटवा, नाथद्वारा), सिपाही अजायब सिंह (पावटिया, भीम)और एएससी के ड्राइवर गमेर सिंह (खमानपुरा, नाथद्वारा) तीनों भारत-पाकिस्तान की 1965 की जंग में शहीद हुए।

- भारत-पाकिस्तान की 1971 में हुई लड़ाई में राइफल मेन बवानसिंह, राइफल मेन त्रिलोकसिंह, गार्डसमेन रामजी, ग्रेनेडियर चतनसिंह, गनर देवीसिंह, सिग्नलमैन कालिया, ग्रेनेडियर नगजी, केसर खान, किशन सिंह और गाड्र्समैन हुका ने खुद को देश के नाम कर दिया। ये सैनिक उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमन्द जिलों के हैं।

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अन्य लड़ाइयों में भी हुए कुर्बान

- लांस नायक औंकारसिंह- ऑपरेशन ब्लू स्टार 1984
- सिपाही नरेन्द्रसिंह- पवन 1987

- हवलदार भरतलाल पवन 1988
- गे्रनेडियर भंवर- रक्षक 1996

- नायक रतनसिह- रक्षक 1998
- सिपाही नारायणसिंह- कारगिल 2000

- कांस्टेबल रतनलाल - पराक्रम 2002
- लेफ्टिनेंट अर्चित वर्डिया- मेघदूत 2011

- लेफ्टिनेंट अभिनव नागोरी- नौ सेना 2015
- हवलदार निम्बहिसंह रावत- रक्षक (जम्मू-कश्मीर )2016

- सिपाही हर्षिद भदोरिया- रक्षक (जम्मू-कश्मीर)2016
- हवलदार नारायणलाल गुर्जर- पुलवामा आतंकी हमला- 2019

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शौर्य पदक धारी वीर

- बिग्रेडियर रणशेरसिंह - कीर्ति चक्र 1971

- कमांडर केशरसिंह पंवार- वीर चक्र 1971
- हवलदार दुर्गाशंकर पालीवाल- वीर चक्र 1971

- सिपाही चतरसिंह- विशेष उल्लेख 1971
- स्क्वाड्रन लीडर अतुल त्रिवेदी- शौर्य चक्र 1979

- कर्नल गोपीलाल पानेरी- शौर्य चक्र 1983
- मेजर भीष्मकुमारसिंह- विशेष उल्लेख 1988

- हवलदार बाबूसिंह- विशेष उल्लेख 1990
- कैप्टन उत्तम दीक्षित- सेना मेडल 1996

- नायब सुबेदार प्रतापङ्क्षसंह- सेना मेडल 1996
- कर्नल महेन्द्रसिंह हाड़ा- सेना मेडल 2001

- सुबेदार/ऑ.लेफ्टि. नाथुसिंह राणावत- सेना मेडल 2001
- विंग कमांडर प्रशान्त मोहन- वायु सेना मेडल 2009

- कैप्टन प्रशान्तसिंह- शौर्य चक्र 2009
- मेजर प्रतीक मलिक- सेना मेडल 2013

- कैप्टन दीपक कुमार- सेना मेडल 2015
- मेजर रजत व्यास- सेना मेडल 2018

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इस धरा से कई सैनिकों ने देश के नाम खुद को न्यौछावर किया है, तो कई सैनिक आज भी सीमा पर दुश्मनों के सामने डटे हुए हैं। हमारा देश सबकी मां है, इसके लिए किसी को पीछे नहीं रहना चाहिए।

एएस राठौड़, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी उदयपुर


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