
बिना एनएबीएल नमूने जांच कर रही ये लैब
भुवनेश पंड्या
उदयपुर. एमबी हॉस्पिटल परिसर स्थित उदयपुर की फूड टेस्ट लैब (खाद्य विश्लेषक जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला) एनएबीएल सर्टिफाइड नहीं है, जो सभी खाद्य नमूनों की जांच कर रही है। कमोबेश यही हाल जयपुर को छोड़ पूरे प्रदेश की लैब का हैं। राज्य में एक मात्र जयपुर स्थित फूड सेफ्टी लैब को यह सर्टिफिकेट मिला हुआ है। दूसरी ओर सरकार ने सभी लैब के लिए एनएबीएल सर्टिफाइड होना अनिवार्य कर दिया है। पहले यह जरूरी नहीं था, लेकिन कुछ मामलों में सरकार के सामने न्यायालय की चुनौती मिलने के बाद इसे केन्द्र ने सभी के लिए अनिवार्य कर दिया है।
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यह है एनएबीएल
एनएबीएल यानी नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एण्ड केलिब्रेशन लेबोरेट्रीज की ओर से यह एनएबीएल सर्टिफिकेट दिया जाता है। यह उसी लैब को मिलता है जो लैब संस्था के मापदंडों पर खरी उतरती है। इसके लिए लैब को अपनी गुणवत्ता बढ़ानी होती है, इसमें यहां इस्तेमाल किए जाने वाले साधन, सामग्री, केमिकल व अन्य हर प्रकार की सुविधाएं जांची जाती है। इसके लिए दो चरणों में 11 हजार और बाद में अंतिम मुहर से ठीक पहले 20 हजार रुपए शुल्क भरना होता है। एनएबीएल सर्टिफिकेट जितने भी सरकारी लैब है उन्हें अब लेना जरूरी हो गया है। एनएबीएल में केमिकल्स, ग्लास सामग्री व अन्य साधन एक समान होते हैं ताकि गुणवत्ता में कोई परेशानी नहीं हो। सर्टिफिकेट रिपोर्ट में हर डेटा का डॉक्यूमेंटेशन करना जरूरी है। जो भी नमूना जांच होता है, उसमें किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ नहीं हो ये देखा जाता है।
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यह है प्रक्रिया
एनएबीएल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना होता है। क्वालिटी कंट्रोल दिल्ली में इसके लिए 11000 रुपए शुल्क है। एप्लाई करने के बाद आवेदन की जांच होती है, जो कमी होती है उसे पूरा करवाया जाता है। पूरी प्रयोगशाला की जानकारी टेस्ट, स्टाफ, ग्लास वेयर, केमिकल, पूरी सिस्टम बताना होता है। लैब की पीटी प्रोवाइडर यानी प्रोफिसिएंसी टेस्ट लिया जाता है। नमूना वहां दिल्ली से भेजा जाता है, इसका जो नमूने का जो परिणाम आता है उसे जांचा जाता है और आवेदन में इसकी जानकारी दी जाती है। इसके बाद वह आवेदन लेते है। इस पर एसेसमेंट के लिए टीम आएगी, वह जो जानकारी आवेदन में बताई गई है, उसे जांचते हैं।
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लैब होगी मजबूत
सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम के तहत प्रयोगशाला को 68 लाख रुपए मिले हैं। इसके तहत एचपीएलसी, यूवी स्पेक्ट्रोफोटोमीटर व गैस क्रोमेटोग्राफी उपकरण आने से जांच का दायरा बढेग़ा। जिससे तेल व घी में अन्य फेट मिलाने पर यह पता किया जाएगा कि कौनसा तेल या फेट मिला हुआ है। सीएसएस के तहत प्रयोगशाला को 8.95 करोड़ का बजट मिला है। इसमें आईसीपी एमएस, एलसीएमएस जैसे आधुनिक उपकरण लगेंगे, इससे कोई मिलावटखोर बच नहीं पाएगा। इससे पेस्टीसाइड, हेवी मेटल्स, एंटीबायोटिक, हार्मोन्स, मेलेमाइन, लिपिड प्रोफाइल, फेटी एसिड जैसा कुछ भी मिलाया हो तो सामने आ जाएगा।
हमने किया है एप्लाई
अगले वर्ष तक हमारी लैब एनएबीएल सर्टिफाइड होगी। पहले अनिवार्य नहीं था, जिसे सरकार ने अब अनिवार्य कर दिया है। हमने सर्टिफिकेट के लिए एप्लाई कर दिया है।
रवि सेठी, फूड एनॉलिस्ट, उदयपुर लैब
दूध, मिर्च व वनस्पति के नमूने लिए
उदयपुर में शुक्रवार को खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत सलूम्बर में नमूने लिए। खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल भारद्वाज ने बताया कि अतुलकुमार राजेन्द्रकुमार के यहां से वनस्पति व लाल मिर्च पाउडर के नमूने लिए गए। वहीं राज डेयरी गांधी चौक से मिश्रित दूध का नमूना लिया गया।
Published on:
31 Oct 2020 06:55 am
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