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पंचायतों में जमीनें बेच यूडीए कर रहा मोटी कमाई, लेकिन पंचायतों के रहवासी विकास को तरस रहे

शहर की पेराफेरी की 14 पंचायतों के हाल खराब, पंचायतों को निगम में शामिल करने की लोग व जनप्रतिनिधि कर रहे मांग, मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पा रही, सफाई का भारी अभाव

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भुवाणा स्थित नवरत्न कॉम्पलेक्स के पास गंदगी का अंबार

उदयपुर. शहर में शामिल हो चुकी पेराफेरी की 14 पंचायतों पर यूडीए कब्जा जमाते हुए लगातार जमीनों के बेचान व आवंटन से मोटा पैसा कमा रही है, लेकिन विकास के नाम पर इन पंचायतों में एक आना भी खर्च नहीं किया जा रहा। पंचायतों के लोग सर्वाधिक सफाई, पानी, बिजली व मूलभूत सुविधाओं को लेकर परेशान हैं। इतना हीं नहीं वहां के रहवासियों के मकानों के पट्टे, नक्शे व प्लान भी पास नहीं हो पा रहे। राज्य सरकार के स्तर पर अटके आदेश के अभाव में ये लोग यूडीए व पंचायतों के चक्कर काट रहे हैं। ऐसी स्थिति में इन्हें बैंकों से ऋण भी नहीं मिल पा रहा।

शहर से शोभागपुरा, भुवाणा, सुखेर, सविना, बड़ी, बड़गांव, तितरड़ी, देबारी, बेदला, लोयरा ऐसी धनाढ्य पंचायतें हैं जो यूडीए का खजाना छलका रही है। सभी पंचायतें शहर के बीचोंबीच और आसपास ही होकर यहां पर जमीनों के भाव आसमान पर है। यूडीए ने यहां पर कई प्लान को अप्रूव्ड कर रखा है। जिनकी भूमि दलाल रोज बोलियां लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन पंचायतों में भूखंड के भाव सुनकर ही हर कोई ठिठक जाता है। यूडीए यहां पर सिर्फ जमीनें बेचकर कमाई कर रही है, लेकिन विकास के लिए पूरा ठिकरा पंचायतों पर फोड़ा जा रहा है। इधर, पंचायतें बजट का रोना रोकर काम नहीं कर पा रही है। इन पंचायतों के पंच-सरपंचों का कहना है कि सरकार स्तर पर उन्हें बार-बार यूडीए द्वारा विकास करवाने की बात कही जा रही, लेकिन हकीकत कोसों दूर है। पंचायतों में यूडीए विकास तो दूर सफाई भी नहीं करवा रहा। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका इन लोगों की पीड़ा को उजागर करते हुए सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित कर रहा है। सुनिए सरकार! निगम सीमा मांगें विस्तार, जनता झेल रही गंदगी का दंश, विधायक ने पूछा तो आयुक्त बोले-यूडीए का नौकर नहीं। शीर्षक से खबरें प्रकाशित की। खबरों पर जनप्रतिनिधि भी आगे आए और उन्होंने अभियान की सराहना करते हुए जल्द ही इस मसले को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

इन सुविधाओं को तरस रहे हैं पंचायत के रहवासी

सफाई-शहर के आसपास की इन पंचायतों में पूर्व पंचायत स्तर पर ही सफाई होती थी। इनका सीमित दायरा था और बजट में काम निकल जाता था। अब इन पंचायतों का इतना विस्तार हो चुका है कि यहां पर कई पोश इलाके की कॉलोनियों के साथ ही बड़े-बड़े कॉम्पलेक्स खड़े हैं। इन इलाकों में शहर की आधी आबादी बसने लगी है। ऐसी स्थिति में वहां सफाई का भारी संकट हो गया। कूड़ा-करकट व गंदगी पहले से चार गुना बढ़ गई और वहां सफाई करवाने के लिए पंचायतों के पास बजट नहीं है।

बिजली- पंचायतों में कई बड़ी इमारतों के साथ ही कई कॉमर्शियल गतिविधियां बढ़ गई है। शहर से सटी पंचायतों में बिजली पूरी मिल रही है, वहीं शहर को बिजली देने के लिए यूडीए में आ रही पंचायतों में कटौती कर दी जाती है।

पानी- पंचायतों का विस्तार होने के बावजूद अभी तक पानी की लाइनें नहीं पहुंच पाई। हालत ऐसे है कि सभी नलकूप पर निर्भर हैं। कई जगह पर टंकियां स्वीकृत हैं, लेकिन बजट के अभाव में सारे काम अटके पड़े हैं।

विकास भी कोसों दूर - कई पंचायतों में रिजॉर्ट, विला, होटल व गार्डन बने हैं। इनकी स्वीकृति नगर निगम व यूडीए ने दे रखी है। यहां पर आए दिन शादी-ब्याह से लेकर कई बड़े आयोजन होते हैं, लेकिन यहां पर विकास व सफाई कोई नहीं करवाता है।


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