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हिंदी भी नहीं बोल पाती थीं अंबामाता की शशिकला, आज सिखा रहीं कुकिंग, जानिए कैसे

कम उम्र में शादी, पति की असमय मृत्यु और दो बच्चों की जिम्मेदारी अकेले उठाना एक असहाय महिला के लिए काफी चुनौतिपूर्ण कार्य होता है।

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उदयपुर। कम उम्र में शादी, पति की असमय मृत्यु और दो बच्चों की जिम्मेदारी अकेले उठाना एक असहाय महिला के लिए काफी चुनौतिपूर्ण कार्य होता है। ठीक ऐसे ही अंबामाता निवासी शशिकला सनाढ्य की जिंदगी चुनौतियों से भरी रही। अधिक शिक्षित न न होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। विदेशियों से बात करने के लिए अंग्रेजी सीखी और इटेलियन, स्पेनिश, फ्रेंच आदि में मसालों व किचन से जुड़े सामानों के नाम समझें। आज वे फर्राटे से अंग्रेजी में बात करते हुए विदेशियों को भारतीय कुकिंग सिखा रही हैं।

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पहले धोती थीं कपड़े और बर्तन
शशिकला कहती हैं, मेरी शादी 19 साल की उम्र में हो गई थी। मैं नाथद्वारा के पास एक छोटे से गांव ओड़ा में रहती थी और शादी के बाद उदयपुर आ गई। तब मैं ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाती थी, मेवाड़ी में ही बात करती थी। दो बेटों के होने के बाद वर्ष 2001 में पति की मृत्यु हो गई और मैं अकेली रह गई। उस समय उदयपुर के जगदीश चौक के गणगौर घाट क्षेत्र में रहती और गुजारा चलाने के लिए विदेशियों के कपड़े व बर्तन धोया करती थी।

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एक विदेशी ने की खाने की तारीफ
शशिकला कहती हैं कि एक दिन आयरलैंड का एक व्यक्ति आया और वह भारतीय खाने का शौकीन था। दोनों बेटे उसे घर ले आए और मेरे हाथ का खाना खिलाया तब उसने कुकिंग क्लास खोलने का आइडिया दिया। तब मुझे बहुत घबराहट हुई कि ऐसा संभव नहीं है लेकिन बेटों ने हिम्मत और आत्मविश्वास बढ़ाया तब मैंने कुकिंग क्लास शुरू की।