5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उदयपुर में दो फैसले बने मिसाल: सात साल बाद उपभोक्ता की जीत, जानें पूरा मामला

उदयपुर उपभोक्ता आयोग ने सात साल पुराने मामले में रेलवे को 17,220 रुपए रिफंड, ब्याज और क्षतिपूर्ति 45 दिन में देने का आदेश दिया। दूसरी ओर जियो मार्ट को एमआरपी से नौ रुपए अधिक वसूलने पर 2009 रुपए लौटाने के निर्देश दिए गए।

2 min read
Google source verification
Udaipur District Consumer Commission

उदयपुर में दो फैसले बने मिसाल (फोटो- पत्रिका)

उदयपुर: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक अहम फैसले में रेलवे विभाग को आदेश दिया है कि वह एक उपभोक्ता को 17,220 टिकट राशि, उस पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज साथ ही तीन हजार रुपए मानसिक क्षति और दो मुकदमा खर्च मिलाकर पूरी राशि 45 दिन में अदा करे।

आयोग ने यह निर्णय सेक्टर-6 निवासी रविंद्र जैन बनाम भारतीय रेलवे जरिए मुख्य सचिव, भारतीय रेल नई दिल्ली व मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक (धन वापसी) कार्यालय जयपुर के खिलाफ दायर प्रकरण में दिया। सात साल से लंबित इस मामले में उपभोक्ता के हक की यह जीत लाखों यात्रियों के लिए मिसाल बनी है।

जानें क्या है पूरा मामला?

हिरणमगरी सेक्टर-6 निवासी रविंद्र जैन ने साल 2016 में अपने परिवार के लिए झेलम एक्सप्रेस में पुणे से जम्मूतवी में एससी यात्रा टिकट बुक करवाए। 09 नवंबर 2016 को आने जाने की टिकट की कुल राशि 17,220 रुपए अदा की। टिकट वेटिंग लिस्ट में थे और पारिवारिक कारणों से यात्रा स्थगित करनी पड़ी।

जैन ने यात्रा रद्द करने पर 18 नवंबर और 25 नवंबर 2016 को टिकट कैंसिल कराकर रिफंड प्रक्रिया शुरू कर दी। रेलवे नियमों के अनुसार, टिकट जमा रसीद पर 90 दिन के भीतर रिफंड का आवेदन स्वीकार्य था, लेकिन रेलवे ने रिफंड रोक दिया।
रेलवे ने कहा- 10 दिन में आवेदन करो, नहीं तो पैसा जब्त

रेलवे ने जैन का रिफंड सिर्फ इस आधार पर ठुकरा दिया कि धन वापसी का आवेदन 10 दिन के भीतर नहीं भेजा। जबकि टिकट जमा रसीद में साफ लिखा था धन वापसी हेतु आवेदन यात्रा तिथि से 90 दिन तक मान्य है। यही विरोधाभास उपभोक्ता की सात साल लंबी लड़ाई का कारण बना। जैन बार-बार जयपुर स्थित रेलवे मुख्यालय मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक कार्यालय, टीडीआर विभाग में आवेदन और डॉक्यूमेंट भेजता रहे। लेकिन ट्रेन यात्रा के पैसे वापस नहीं दिए गए।

आयोग ने सुनवाई के बाद माना कि टिकट जमा रसीद पर 90 दिन की अवधि मान्य थी, रिफंड को रोकना सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार है। रेलवे जैसे बड़े विभाग को उपभोक्ता की वैध रिफंड राशि रोकने का अधिकार नहीं है। विभागीय तकनीकी बहानों के पीछे उपभोक्ता अधिकार कुचले नहीं जा सकते। आयोग ने रेलवे को 45 दिन में यह राशि देने का आदेश दिया।

एमआरपी से 9 रुपए ज्यादा वसूले पड़ा भारी

उदयपुर में जियो मार्ट रिलायंस रिटेल को एक ग्राहक से एमआरपी से अधिक राशि वसूलना महंगा पड़ गया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अध्यक्ष सुमन गौड पाण्डेय व सदस्य मनीष परमार ने कंपनी को न केवल एमआरपी से अधिक वसूले गए 9 रुपए लौटाने, बल्कि मानसिक पीड़ा और मुकदमा खर्च के लिए कुल 2 हजार रुपए अतिरिक्त अदा करने का आदेश दिया है। आयोग ने यह निर्णय सेक्टर-6 निवासी परख पुत्र नंदलाल जैन की ओर से पासर सर्कल स्थित जिया मार्ट रिलायंस रिटेल लिमिटेड के प्रबंधक के खिलाफ दायर प्रकरण में दिया।

यह था मामला

परिवादी परख जैन ने 6 अगस्त 2020 को जियो मार्ट से रोजमर्रा का सामान खरीदा। घर पहुंचकर बिल चेक किया तो पाया कि शैम्पू 185 एमए की बोतल की एमआरपी 105 रुपए थी,जबकि बिल में उससे 114 वसूले गए थे। शिकायत करने पर स्टॉफ ने पैसे लौटाने से मना कर दिया। उपभोक्ता ने हार नहीं मानी और मामला आयोग में दर्ज करवाया।

आयोग के सुनवाई में पाया गया कि उत्पाद की बोतल पर एमआरपी 105 छपी थी। बिल में 114 वसूल किए गए यानी 9 रुपए ज्यादा चार्ज किए गए। कंपनी ने नोटिस के बावजूद आयोग में अपना पक्ष भी नहीं रखा। आयोग ने इसे सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार मानते हुए कंपनी के खिलाफ आदेश पारित किया।


बड़ी खबरें

View All

उदयपुर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग