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फिल्म निर्देशक विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी श्वेतांबरी 7 दिन की पुलिस रिमांड पर, 30 करोड़ की ठगी का आरोप, पुलिस जुटाएगी सबूत

उदयपुर पुलिस ने फिल्म निर्देशक विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी श्वेतांबरी भट्ट को 30 करोड़ की कथित धोखाधड़ी केस में कोर्ट में पेश किया। जहां अदालत ने दोनों को सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया।

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Udaipur Film director Vikram Bhatt

विक्रम भट्ट और श्वेतांबरी 7 दिन की पुलिस रिमांड पर (फोटो- पत्रिका)

उदयपुर: फिल्म निर्देशक विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी श्वेतांबरी भट्ट को उदयपुर पुलिस ने मुंबई से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर लाया था। मंगलवार को दोनों को एसीजेएम कोर्ट-4 में पेश किया गया। जहां पुलिस ने उन्हें सात दिन पुलिस रिमांड पर रखने की मांग की और अदालत ने यह मांग मंजूर कर दी।

बता दें कि पहले शिकायत मिलने के बाद उदयपुर पुलिस ने मुंबई स्थित ठिकानों पर छानबीन की और कार्रवाई के तहत दंपती को गिरफ्तार किया। दोनों को रात में उदयपुर लाया गया और जांच अधिकारी के कार्यालय में रखा गया। सुरक्षा को देखते हुए उनके न्यायिक पेशी के समय कोर्ट परिसर तथा आसपास के क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस ने बताया कि कथित धोखाधड़ी लगभग 30 करोड़ से जुड़ी है। घटना की शिकायत इंदिरा ग्रुप के डायरेक्टर डॉ. अजय मर्डिया (इंदिरा आईवीएफ से जुड़ा मामला) ने दर्ज कराई है।

आरोप है कि भट्ट दंपती ने फिल्म निर्माण के नाम पर बड़ी रकम ली पर न तो शूटिंग पूरी हुई और न ही रकम वापस की गई। पुलिस ने कहा कि मामले की गंभीरता और जांच में आवश्यक कागजात, बैंक ट्रांजेक्शन, अनुबंध तथा डिजिटल रिकॉर्ड की जांच के लिए भट्ट दंपती की कस्टडी जरूरी है।

इसी आधार पर अदालत ने पुलिस को दोनों की सात दिन की रिमांड दी है। रिमांड के दौरान पुलिस ने बताया कि वह बैंक स्टेटमेंट, भुगतान के स्रोत, अनुबंधों की वैधता और परियोजनाओं के वित्तीय लेखा-जोखा की विस्तृत छानबीन करेगी।

साथ ही डिजिटल सबूत ईमेल, व्हाट्सएप चैट और अन्य संचार के रिकॉर्ड जांचे जाएंगे। पुलिस ने कहा है कि रिमांड अवधि में संभावित गवाहों और संबंधित दस्तावेजों की डिटेल्ड जांच पूरी कर आरोपीयों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी।

विक्रम और श्वेतांबरी भट्ट ने आरोपों का खंडन किया है और अपने ऊपर लगे लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। दोनों के वकीलों ने बयान में कहा कि वे न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करेंगे और सच्चाई सामने आएगी।

स्थानीय प्रशासन ने यह भी कहा, जांच को निष्पक्ष और तेज गति से पूरा किया जाएगा। ताकि पीड़ित पक्ष को न्याय मिल सके और यदि आरोप सही पाए गए तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। रिमांड अवधि के पूरे होने के बाद अगल सुनवाई में कोर्ट आगे की सुनवाई और संभव हिरासत/जमानत से जुड़े आदेश देगा।